अयोध्या। श्रीराम की नगरी अयोध्या में रामजन्मभूमि पर विराजमान रामलला के मंदिर का निर्माण कार्य दिन-रात तेजी से हो रहा है।
रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने कार्य की प्रगति के बारे में शुक्रवार को बताया कि श्रीराम मंदिर निर्माण 24 घंटे रात्रि में दूधिया प्रकाश में भी किया जा रहा है। फर्श का निर्माण कार्य अंतिम दौर में है वहीं पश्चिम दिशा से शुरू हुए सुपर स्ट्रेक्चर के निर्माण में तराशे गये करीब सवा दो सौ पत्थर लगाएजा चुके हैं। इस बीच राजस्थान से तराशे गए पत्थरों की आपूर्ति भी शुरू हो गई है। परिवर्तित मॉडल में स्तम्भों की मोटाई तीन इंच बढ़ाई गई है।
सीडीआरआई रुडक़ी की अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार गर्भगृह के लिए नए सिरे से पत्थरों की तराशी की जा रही है। इनके स्तम्भों की मोटाई लगभग तीन इंच बढ़ा दी गई है। स्तम्भ साढ़े चौदह से सोलह फिट तक ऊंचे और आठ फिट व्यास वाले होंगे। प्रत्येक स्तम्भ यक्ष यक्षणियों की सोलह मूर्तियों से सज्जित होगा। इसलिए राजस्थान में गर्भगृह के लिए नए सिरे से एक लाख घन फुट पत्थरों की तराशी का काम किया जा रहा है।
राम मंदिर के मॉडल में परिवर्तन के पश्चात अब गर्भगृह के लिए नए सिरे से पत्थरों की तराशी की जा रही है। पुराने मॉडल के आधार पर रामघाट स्थित कार्यशाला में लगभग तीस वर्षों तक पत्थरों की तराशी की गई थी। इस तराशी में राम मंदिर के गर्भगृह के लिए लगभग 75 हजार घन फुट पत्थर व 112 खंभों की तराशी व नक्काशी की गई थी। लम्बे समय से खुले आसमान में होने के कारण लगभग 35 हजार घन फुट पत्थर अनुपयोगी हो गए। शेष 40 हजार घनफुट पत्थरों की खुदाई कराकर उन्हें सुरक्षित कर दिया गया है। अब उनका आवश्यकतानुसार उपयोग किया जाएगा।
ट्रस्ट के मुताबिक इधर मंदिर मॉडल में परिवर्तन होने व मंदिर की ऊंचाई बढऩे के पश्चात गर्भगृह के स्तम्भों की डिजाइन में भी परिवर्तन कर दिया गया है। अब पहली मंजिल में 160 स्तम्भ होंगे। मंदिर भवन के भार को देखते हुए इन स्तम्भों की डिजाइन में परिवर्तन किया गया है। नई डिजाइन के पत्थरों की तराशी व नक्काशी राजस्थान में की जा रही है। राम मंदिर के शिखर सहित ऊंचाई कुल 161 फिट होगी। मंदिर में तीन तल होंगे। प्रत्येक तल की ऊंचाई बीस फिट होगी।
मंदिर के भूतल में 160 स्तम्भ, प्रथम तल में 132 स्तम्भ व दूसरे तल में 74 स्तम्भ होंगे जो पुराने पत्थरों व स्तम्भों की तराशी की गयी थी वह दो तल के हिसाब से थी। चूंकि मंदिर अब तीन तल का कार्य हो गया है इसलिए पुराने स्तम्भ मंदिर का भार उठाने में सक्षम नहीं होंगे।