पटना। बिहार में सियासी हलचल के बीच बड़ी खबर आई है कि मख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पद से इस्तीफा दे दिया है साथ ही भाजपा से नाता तोड लिया। उन्होंने राज्यपाल से मिलकर फिर सरकार बनाने का दावा पेश किया है। इस बीच केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने कहा बीजेपी अपने दम पर विकल्प दे सकती है। उन्होंने कहा कि फिर से जनता के बीच जाना चाहिए।
नीतीश कुमार ने राज्यपाल फागू चौहान को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। इस्तीफा देने के बाद मीडिया से बात करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि सब लोगों की इच्छा थी कि एनडीए से अलग होना है। हम जब तक पार्टी में रहे गठबंधन का धर्म निभाया।
इस्तीफा सौंपने के बाद नीतीश कुमार ने नई सरकार का दावा पेश कर दिया है। बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार ने राज्यपाल फागू चौहान को 160 विधायकों के समर्थन वाला पत्र सौंप दिया है।
राष्ट्रीय जनता दल से जुड़े सूत्रों का कहना है कि आरजेडी नीतीश कुमार को समर्थन दे सकती है। विभागों के आवंटन पर कोई मतभेद नहीं होगा। पार्टी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि उनके पास 160 की ताकत है। अगर बीजेपी अस्थिरता पैदा करने की कोशिश करती है या राष्ट्रपति शासन लागू करने की कोशिश करती है, तो हम उन्हें करारा जवाब देंगे।
फिलहाल बिहार विधानसभा में भाजपा के पास 77, जद (यू) के पास 45, कांग्रेस के 19, सीपीआईएमएल (एल) के नेतृत्व वाले वाम दलों के पास 16 और राजद के पास 79 सीटें हैं।
इइस बीच केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी पशुपति पारस ने घोषणा की कि वह बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि वह महागठबंधन में नीतीश कुमार के साथ नहीं जाएंगे।
नीतीश ऐसे दूल्हा हैं, जिनकी पालकी उठाने को सभी राजनीतिक दल तैयार
बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार एक ऐसे दूल्हा हैं, जिनकी पालकी सभी राजनीतिक दल उठाना चाहते हैं। इसी का नतीजा है कि कुमार अब भारतीय जनता पार्टी से रिश्ता तोड़ चुके हैं लेकिन राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने उन्हें तुरंत समर्थन देने की घोषणा कर दी।
ऐसे में अब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से अलग होकर भी कुमार फिर से राजद के समर्थन से मुख्यमंत्री बने रहेंगे। कुमार को चाहे भाजपा हो या राजद या कांग्रेस या फिर वामपंथी दल समेत अन्य दलों का उन्हें बगैर शर्त समर्थन देने का कारण भी बेहद खास है।
कुमार को भले ही राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने कभी पलटूराम कहा था लेकिन आज जब कुमार ने भाजपा से नाता तोड़कर पलटी मारी तो राजद अध्यक्ष यादव की पार्टी ने ही उन्हें बिहार सरकार का दूल्हा यानी मुख्यमंत्री बनाने का मार्ग प्रशस्त कर दिया। सत्ता के लिए दो धुर विरोधियों का एक साथ आना अपने आप में बेहद खास हैं।