नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कहा कि राष्ट्र की समृद्धि के लिए नारी शक्ति का अपमान नहीं करने और उसे गौरव के साथ अवसर देकर विकास प्रक्रिया से जोड़ने से राष्ट्र की प्रगति को गति मिलेगी तथा ‘अमृतकाल’ में देश को आगे बढ़ाने में और पंख लगेंगे।
मोदी ने 76वें स्वतंत्रता दिवस के मौके लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए कहा कि वह नारी शक्ति में विकास की गति को स्पष्ट देख रहे हैं और उन्हें लगता है कि नारी शक्ति को गौरव और सम्मान देकर यदि इस प्रक्रिया से जोड़ा जाता है तो देश की आजादी के 100 वर्ष यानी अगले 25 साल के इस ‘अमृतकाल’ में राष्ट्र की प्रगति को इससे और पंख लगेंगे।
माेदी ने नारी अपमान को अपने भीतर का दर्द बताते हुए देशवासियों से नारी का अपमान न करने का संकल्प लेने का आह्वान किया और कहा कि किसी न किसी कारण हमारे अंदर ऐसी विकृति आई है जिसमें हम अपने शब्दों से, व्यवहार से नारी का अपमान करते हैं। इस विकृति से समाज को मुक्त करने के लिए हमें अपने स्वभाव और कर्म से नारी का अपमान करने से मुक्ति लेने का संकल्प लेना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वह अपनी आंखों से नारी शक्ति में प्रगति की ताकत को देख रहे हैं। वह देख रहे हैं कि नारी का सम्मान करना, उसे गौरव देना और उसका अपमान न करना राष्ट्र के सपने को पूरा करने की दिशा में बहुत बड़ी ताकत बनने वाला है, इसलिए नारी का सम्मान करके उनके गौरव को बनाए रखने का संकल्प जरूरी है।
उन्होंने कहा कि देश में नारी शक्ति ताकत बनकर के सामने आ रही है और अगले 25 साल में देश की प्रगति के लिए यही शक्ति अहम भूमिका होने वाली है। इसलिए देश की बेटियों के लिए ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं तथा अवसर उपलब्ध कराना और उन्हें सम्मान देना देश का दायित्व सबका होना चाहिए। उनका कहना था अमृतकाल में यदि नारी शक्ति को जोड़ेंगे तो हमारे सपनों को और पंख लग जाएंगे।
प्रधानमंत्री ने इसी संदर्भ में नागरिक कर्तव्य का भी उल्लेख किया और इसे बहुत बड़ी शक्ति करार दिया। उनका कहना था कि अनुशासित जीवन, कर्तव्य के प्रति समर्पण किसी भी देश को प्रगति पथ पर ले जाने का बड़ा मंत्र है।
उन्होंने कहा कि सरकार का काम देश के लोगों को बिजली उपलब्ध कराना है लेकिन नागरिक का कर्तव्य जरूरत की बिजली खर्च कर उसे बेकार खर्च नहीं कर हर यूनिट को बचाने का प्रयास करना है। इसी तरह से सरकार का काम हर घर जल उपलब्ध कराना है लेकिन जल की बर्बादी नहीं हो, यह देश के नागरिक का कर्तव्य है। जिस देश के नागरिक इन कर्तव्यों का पालन करते हैं, वह देश निश्चित रूप से प्रगति के शिखर पर पहुंचता है।