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भारत को शत-प्रतिशत विकसित राष्ट्र बनाने के लिए पांच प्रण लें देशवासी: मोदी - Sabguru News
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भारत को शत-प्रतिशत विकसित राष्ट्र बनाने के लिए पांच प्रण लें देशवासी: मोदी

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भारत को शत-प्रतिशत विकसित राष्ट्र बनाने के लिए पांच प्रण लें देशवासी: मोदी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि भारतीय समाज आकांक्षाओं से भरा है और इन्हें पूरा करने के लिए हमें ‘पंच प्रण’ लेने हाेंगे जिनके बल पर शत-प्रतिशत विकसित भारत का निर्माण होगा, जो विकास की हर कसौटी पर खरा उतरेगा और जिसके केन्द्र में मानवता होगी।

मोदी ने सोमवार को 76वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से करीब डेढ घंटे तक चले अपने नौवें संबोधन में कहा कि देश का युवा समाज आकांक्षाओं से भरा है और उसके मन में आकांक्षाओं का तूफान उमड़ रहा है, वह अब इंतजार नहीं करना चाहता और विकसित देश के स्वतंत्रता सेनानियों तथा शहीदों के सपने को अपने सामने पूरा करना चाहता है।

उन्होंने कहा कि देश ने लंबे समय तक इंतजार किया है लेकिन युवा पीढ़ी अब अगली पीढ़ी को इसका इंतजार कराने के लिए मजबूर नहीं है। उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत काल के प्रथम दिन देख रहा हूं कि भारत का जनमानस आकांक्षाओं से भरा हुआ है। हर आदमी चीजों को बदलते देखना चाहता है और वह यह परिवर्तन अपने आंखों से देखना चाहता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज अमृतकाल के पहले प्रभात पर वह युवा पीढ़ी का आह्वान करते हैं कि वह देश को पूरी तरह से विकसित राष्ट्र बनाने में योगदान दें। उन्होंने कहा कि इसके लिए अमृतकाल के 25 वर्ष अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हमें इन वर्षों में पंच प्रण पर अपनी शक्ति को केंद्रित करना होगा, अपने सामर्थ्य को केंद्रित करना हो और हमें उन पंच प्रणों को लेकर 2047 तक आजादी के दीवानों के सारे सपनों को पूरा करने की जिम्मेदारी उठा कर चलना होगा।

पंच प्रणों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सभी देशवासियों को पहला बड़ा संकल्प और प्रण भारत को पूरी तरह विकसित बनाने का लेना होगा। ऐसा विकसित राष्ट्र जो सभी कसौटियों पर खरा उतरे तथा जिसके केन्द्र में मानवता हो।

दूसरा प्रण हमारे मन के भीतर यदि गुलामी का कोई भी अंश है तो उसे जड़ से खत्म करना होगा, उससे मुक्ति पानी होगी। तीसरा प्रण हमें अपनी विरासत पर गर्व करने का लेना होगा। चौथा प्रण देश में एकता और एकजुटता को बढ़ावा देना का और पांचवां प्रण यह है कि सभी नागरिक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें।

उन्होंने कहा कि जब समाज आकांक्षाओं वाला होता है तो सरकारों को भी तलवारों की धार पर चलना होता है क्योंकि हर सरकार को जनता की आस्था-आकांक्षाओं का समाधान करना ही होगा। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को इससे कष्ट हो सकता है लेकिन सरकार को इसे पूरा करना होगा।

मोदी ने कहा कि देश में सामाजिक चेतना का पुनर्जागरण हुआ है, पुनर्चेतना जागृत हुई है और हर घर तिरंगा अभियान इसका प्रतीक है। उन्होंने कहा कि विश्व भारत की ओर अब अलग नजरिये और गर्व तथा उम्मीदों के साथ देख रहा है। यह हमारे 75 वर्षों की यात्रा और संघर्ष का ही परिणाम है। उन्होंने कहा कि भारत में पिछले दिनों में सामूहिक चेतना का जागरण हुआ है, वह संकल्प में परिवर्तित हो रहा है, पुरुषार्थ की पराकाष्ठा और संकल्प की सिद्धि की ओर प्रगति हो रही है।

प्रधानमंत्री ने राजनीतिक स्थिरता के महत्व का उल्लेख करते हुए कहा कि हम सबका साथ और सबका विकास का मंत्र लेकर चले थे, देशवासियों ने उसमें सबका साथ और सबका विश्वास का मंत्र जोड़ कर उसको उस में नया रंग भर दिया।

संबोधन के शुरू में मोदी ने सभी को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मैं विश्व भर में फैले हुए भारत प्रेमियों को, भारतीयों को आजादी के इस अमृत महोत्सव की बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आज का यह दिवस ऐतिहासिक है। एक पुण्य पड़ाव, एक नई राह, एक नए संकल्प और नए सामर्थ्य के साथ कदम बढ़ाने का ये शुभ अवसर है। हमारे देशवासियों ने भी उपलब्धियां की हैं, पुरुषार्थ किया है, हार नहीं मानी है और संकल्पों को ओझल नहीं होने दिया है। मैंने भी अपने पूरे कार्यकाल को अंतिम व्यक्ति को समर्थ बनाने में समर्पित किया है।

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