जयपुर/नई दिल्ली। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने पिछले महीने जालोर जिले में तीसरी कक्षा के एक छात्र की मौत पर राजस्थान के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को मंगलवार को नोटिस जारी किया।
एनएचआरसी ने एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया कि सुराना क्षेत्र के सरस्वती विद्यालय में पढ़ने वाले अनुसूचित जाति के एक छात्र को 20 जुलाई को प्रधानाध्यापक ने कथित तौर पर पीटा था जिसके कारण उसे गंभीर चोटें आईं। अहमदाबाद के एक अस्पताल में उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई।
यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि बच्चे को इलाज के लिए राजस्थान से गुजरात क्यों भेजा गया। सुराणा अहमदाबाद से 600 किमी से अधिक दूर है और वहां पहुंचने में 12 घंटे से अधिक समय लगता है। राजस्थान की राजधानी जयपुर सुराना गांव से सिर्फ 345 किमी दूर है और इसमें छह घंटे से थोड़ा अधिक समय लगता है।
एनएचआरसी ने पुलिस द्वारा की जा रही जांच की वर्तमान स्थिति और चार सप्ताह के भीतर अपराधी के खिलाफ की गई कार्रवाई सहित मामले पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
आयोग ने एक बयान में कहा कि डीजीपी से यह स्पष्ट करने की उम्मीद है कि पीड़ित के परिवार द्वारा किए गए प्रयासों के बावजूद पुलिस ने 23 दिनों तक मामले में प्राथमिकी क्यों दर्ज नहीं की।
एनएचआरसी ने अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार से यह भी पूछा कि एससी और एसटी सहित समाज के कमजोर वर्गों के साथ इस तरह के ‘अमानवीय’ और क्रूर कृत्यों को सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं या क्या कदम उठाए जाने का प्रस्ताव है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बच्चे ने एक बर्तन से पानी पीने के लिए लिया था जो कि प्रधानाध्यापक के लिए रखा गया था और जब प्रधानाध्यापक ने देखा तो उसने कथित तौर पर उसे बुरी तरह पीटा।आयोग ने कहा कि पीड़ित के कान के पास चोटें आई थीं।
प्रधानाध्यापक ने परिवार पर समझौता करने के लिए कथित तौर पर अनुचित दबाव डाला और मामले को शांत करने के लिए उन्हें 1.5 लाख रुपये की राशि दी। परिवार के तमाम प्रयासों के बावजूद पुलिस ने 23 दिन तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की।