नई दिल्ली। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि पार्टी के असंतुष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने 2019 के आम चुनाव में कांग्रेस को मिली करार हार के बाद से ही पार्टी से बाहर होने का मन बना लिया था और वह पार्टी के लिए कोई संघर्ष करने को तैयार नहीं थे।
कांग्रेस नेताओं अपना नाम नहीं बताने की शर्त पर बुधवार को कहा कि आजाद ने पार्टी के लिए काम करना पहले ही छोड़ दिया था। आजाद के कुछ खास समर्थकों को भी पता था कि वह कांग्रेस को अलविदा कहने वाले हैं इसलिए वे भी पार्टी के किसी भी कार्यक्रम में शामिल नहीं होते थे और ना ही अपना सहयोग दे रहे थे।
यह पूछने पर कि क्या आजाद के कारण कांग्रेस को जम्मू कश्मीर में नुकसान होगा, एक नेता ने कहा कि वह बड़े नेता जरूर थे लेकिन उनकी जनता में पकड़ नहीं थी इसलिए उनके जाने से जमीनी स्तर पर कांग्रेस को कुछ फर्क नहीं पड़ेगा। इस नेता ने कहा कि जम्मू कश्मीर की चेनाव घाटी में उनका कुछ प्रभाव जरूर है, यही कारण है कि वहां से जीते कांग्रेस के नौ में से चार ‘पूर्व विधायक’ उनके साथ चले गए हैं। इस क्षेत्र में उनके जाने का पार्टी की संभावनाओं पर थोड़ा बहुत असर पड़ सकता है।
कांग्रेस के एक अन्य नेता ने कहा कि आजाद का कभी जनाधार नहीं रहा है और वह कांग्रेस नेतृत्व द्वारा बार बार राज्यसभा में भेजे जाने के कारण प्रमुख नेता बने हैं। आजाद ने सिर्फ एक बार विधानसभा का चुनाव तब जीता जब उन्हें जम्मू कश्मीर का मुख्यमंत्री बनाया जाना था। यह चुनाव भी उन्होंने तब जीता जब उनके भाई ने अपनी सीट से उन्हें चुनाव लड़वाया। वह पांच बार राज्यसभा के सदस्य रहें। जिस नेता का जनाधार नहीं होता है उसके जाने से कांग्रेस जैसे दलों को कुछ फर्क नहीं पड़ता है।
आजाद के 2019 के बाद से पार्टी छोड़ने के आभास को लेकर पूछे गए प्रश्न के जवाब में सूत्रों ने कहा कि उनके काम करने का स्टाइल बदल गया था और वह पार्टी की किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं हो रहे थे। पहले की तरह पार्टी की रैलियों और अन्य गतिविधियों में उनके समर्थक भी रुचि नहीं लेते थे इससे साफ है कि वह आम चुनाव के बाद से ही कांग्रेस छोड़ने का मन बना चुके थे।
सूत्रों ने हैरानी जताई कि आजाद को पार्टी ने सबकुछ दिया उसके बावजूद वह पार्टी को भला बुरा कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि आजाद को कांग्रेस में संजय गांधी लाए थे और उसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तथा राजीव गांधी ने उनको आगे बढाया।
सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस की जो भी बैठक होती, किसी से कांग्रेस प्रतिनिधि मंडल को मिलना होता था तो सबसे आगे आजाद ही रहते थे। ऐसी स्थिति को क्या अनादर कहते हैं। दूसरी बात वह जिन राहुल गांधी को कोस रहे हैं उन्हें समझना चाहिए कि जब वह राजनीति में आए थे तो गांधी उस समय तीन साल के थे।
गौरतलब है कि आजाद पांच दशक तक कांग्रेस में रहने के बाद पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं और उनके अलग पार्टी बनाने की अटकलें लगाई जा रही है। उनके साथ ही जम्मू कश्मीर में कांग्रेस के 64 बड़े नेता भी पार्टी छोड़ च़ुके हैं।