सबगुरु न्यूज-सिरोही। राजस्थान में अशोक गहलोत को कांग्रेस के उनके समर्थक ‘गांधीवादी’ नेता उपमा देते हैं। यानी गांधी के सिद्धांतों पर चलने वाले। लेकिन अशोक गहलोत सरकार में माउंट आबू में तैनात के अधिकारियों ने प्रशासन में गांधियन विचारधारा का ही श्राद्ध नहीं किया बल्कि इन्हीं गांधीवादी मुख्यमंत्री के हाथों से बदले हुए चेहरे वाले गांधी की मूर्ति का अनावरण भी करवा दिया।
अब माउंट आबू के पार्षद सौरव गांगड़िया ने बताया है कि जिला कलेक्टर ने जांच के बाद माना है कि गांधी उद्यान में महात्मा गांधी की जिस प्रतिमा का अनावरण करवाया था उस प्रतिमा का चेहरा महात्मा गांधी की तरह नहीं लगता है। इसे बदला जाएगा।
ये मूर्ति माउंट आबू नगर पालिका ने लगवाई थी और ये सब तब हुआ जब माउंट आबू के उपखण्ड अधिकारी और आयुक्त की वहां को हर काम के वेरिफिकेशन के लिए रखा हुआ है। वैसे इस सम्बंध में पक्ष जानने के लिए जिला कलेक्टर भंवरलाल और माउंट आबू उपखण्ड अधिकारी को फोन लगाया था लेकिन, उन्होंने फोन नहीं उठाया।
– अधिकारी कर क्या रहे थे?
गांधी उद्यान में करीब 10 लाख रुपये की लागत से महात्मा गांधी की प्रतिमा लगाई गई थी। 29 दिसम्बर 2021 को माउंट आबू में आयोजित शरद महोत्सव के उद्घाटन के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के हाथों से इस मूर्ति का वर्च्युअल अनावरण करवाय गया था।
मूर्ति पर से पर्दा हटते ही इसके चेहरे के गांधी के चेहरे से नहीं मिलने का विवाद सामने आ गया था। स्थानीय लोगों के अलावा एक आईआरएस ने तो इस पर ट्विटर पर ट्वीट करके भी बताया था। ये मूर्ति स्थापित और खरीद करने का काम माउंट आबू स्टोर का था। इसके लिए भुगतान का काम आहरण वितरण अधिकारी नगर पालिका आयुक्त का।
मूर्ति आई, इसे लाने से पहले देखा गया होगा, वैरिफिकेशन किया गया होगा, माउंट आबू में आईएएस एसडीएम औऱ आरएमएस आयुक्त ने मुख्यमंत्री से अनावरण से पहले प्रोटोकॉल के तहत इसका अवलोकन भी किया होगा। लेकिन, किसी ने भी इस मूर्ति के चेहरे के महात्मा गांधी के चेहरे से नहीं मिलने की ओर उच्चाधिकारियों का ध्यान आकर्षित नहीं करवाया और इसका मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के हाथों से अनावरण करवा दिया। अब इन अधिकारियों की करनी से गांधीवादी मुख्यमंत्री के इसका अनावरण की शिलापट्ट वहाँ लगवाकर सरकार को पर्यटकों के लिये हंसी का पात्र बना दिया है।
-देते रहे ये दलील
इस मूर्ति के अनावरण के बाद जब विवाद उठा तो अधिकारियों की ये दलील थी कि ‘ये मूर्ति जयपुर सचिवालय की मूर्ति की तरह है। लोगों ने वो मूर्ति देखी नहीं है इसलिए इस तरह का विवाद कर रहे हैं।’ दरअसल, आम पर्यटक मूर्ति में गांधी के चेहरे की बात कर रहे थे तो अधिकारी मूर्ति के पोश्चर की बात करके ध्यान भटका रहे थे।
दरअसल, माउंट आबू में लगी गांधी की मूर्ति में उनके बैठने का पोश्चर, यानी मुद्रा, जयपुर सचिवालय में लगाई गई मूर्ति की तरह ही है। लेकिन, चेहरा दोनो का अलग है जयपुर सचिवालय में लगी मूर्ति का चेहरा एकदम महात्मा गांधी के चेहरे की तरह है लेकिन, माउंट आबू में लगाई गई मूर्ति का चेहरा महात्मा गांधी से बिल्कुल भी नहीं मिलता है।