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Administrative officers of Mount abu Foreced To flee Local resident from Kashmir Of Rajasthan - Sabguru News
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अधिकारियों की हठधर्मिता से राजस्थान के कश्मीर से भी पलायन को मजबूर हुए लोग!

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अधिकारियों की हठधर्मिता से राजस्थान के कश्मीर से भी पलायन को मजबूर हुए लोग!
सिरोही मे जिला कलेक्टर को ज्ञापन देने पहुंचे माउंट आबू के पिडित
सिरोही मे जिला कलेक्टर को ज्ञापन देने पहुंचे माउंट आबू के पिडित

सबगुरु न्यूज-सिरोही। राजस्थान के कश्मीर माउण्ट आबू में भी स्थानीय नगर पालिका अधिकारियों ने स्थानीय लोगों को पलायन को मजबूर कर दिया है। ये बात अलग है कि भारत के कश्मीर से पलायन आतंकियों के कारण हो रहा है तो राजस्थान के कश्मीर से मकानों के गिरने से जान जाने के आतंक, सम्मानजनक रहने और व्यवसाय करने के अधिकार के हनन के कारण हो रहा है।

तीन दशक से माउण्ट आबू में निर्माण पाबंदी हट जाने के बाद भी नगर पालिका के आयुक्त और अन्य अधिकारियों के द्वारा लोगों को मकान बनाने की वाजिब अनुमति रोकने के कारण लोग माउण्ट आबू से बाहर छोड़कर आबूरोड में बसने लगे हैं। नगर पालिका अधिकारी बाहरी व्यापारियों को माउण्ट आबू में निर्माण अनुमतियां जारी करके उनके धड़ल्ले से व्यावसायिक निर्माण करवा रहे हैं।

लेकिन, स्थानीय निवासियों को राज्य सरकार द्वारा संपूर्ण मापदंड पूरे कर दिए जाने के बाद भी भवनों के निर्माण और टूटे हुए भवनों के पुनरनिर्माण की अनुमति जारी नहीं कर रहे हैं। इसे ही लेकर बुधवार को माउण्ट आबू छोड़कर बाहर रहने को मजबूर हुए लोगों ने जिला कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री, प्रभारी मंत्री और मुख्यमंत्री के सलाहकार को ज्ञापन भेजकर राहत की मांग की है। एक सप्ताह में राहत नहीं पहुंचने पर जिला कलेक्टर कार्यालय और फिर मुख्यमंत्री कार्यालय के बाहर धरने देने की अपनी मजबूरी से भी सबको अवगत करवाया है।

मुख्यमंत्री को भेजे ज्ञापन में उन्होने बताया कि उनकी सरकार के द्वारा माउण्ट आबू में पिछले करीब 35 सालों से स्थानीय लोगों के नए भवन निर्माण एवं पुराने जर्जर भवनों के पुनरनिर्माण के मार्ग में आने वाली सारी कानूनी बाधाएं दूर कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट के मार्गदर्शन के अनुसार जोनल मास्टर प्लान पहले ही लागू कर दिया गया था।
उन्होंने 2019 में लोकसभा चुनावों के दौरान बामनवाड़ में ही उन्होंने बिल्डिंग बायलॉज लागू कर दिए थे। वहीं मुख्यमंत्री के सलाहकार संयम लोढ़ा के हस्तक्षेप से एस टू जोन का सीमांकन भी हो गया था। अब माउण्ट आबू में नए निर्माण और पुननिर्माण के कार्यों को स्थानीय नगर पालिका के स्तर पर किया जाना है।
लोगों को राहत देने के लिए माउण्ट आबू की भवन निर्माण समिति ने गत माह भवन निर्माण समिति की बैठक आयोजित करके गत माह नए निर्माण की पत्रावलियों को निस्तारण करना भी शुरू कर दिया था। लेकिन, इसके बाद भी प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा इस प्रक्रिया को अटकाया जा रहा है। जिससे आम आबूवासियों को उनकी, मुख्यमंत्री सलाहकार संयम लोढ़ा और माउण्ट आबू के कांग्रेस के बोर्ड की मंशा के अनुसार राहत नहीं मिल रही है।

इसमें आरोप लगाया कि एटीपी के नाम पर पहले बिल्डिंग बायलॉज के सीमांकन को नोटिफिकेशन के नाम पर अटका दिया गया। अब बताया जा रहा है कि जो पत्रावलियां भवन निर्माण समिति के द्वारा अनुमोदित की गई थीं, वो भी एटीपी के पास अटकी हुई हैं। ज्ञापन देने वाले शैतानसिंह, दिलीपसिंह और अतानु ने बताया कि इसके लिए दो माह पूर्व जिला कलक्टर स्तर पर सांकेतिक धरना भी दिया था।

जिला कलक्टर ने संंवेदनशीलता बरतते हुए उन्हें सुनकर माउण्ट आबू उपखण्ड अधिकारी को वहां की समस्याओं के निस्तारण के निर्देश भी दिए थे। माउण्ट आबू उपखण्ड अधिकारी के कहे अनुसार माउण्ट आबू में नए निर्माण और पुनरनिर्माण की अनुमति जारी करने के स्टे ऑर्डर को हाईकोर्ट से वेकेट भी करवा लिया गया। जबकि जनहित में हर तरह की कानूनी बाधा को दूर करने की जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों की है, फिर माउण्ट आबू के हित में यह काम हम स्थानीय लोगों ने किया।
इसमें आरोप लगाया कि स्थानीय अधिकारियों के द्वारा लोगों को 35 साल के नारकीय जीवन से मुक्ति देने के लिए कोई प्रयास नही किये जा रहे हैं। इससे वहां के लोगों को सामाजिक और आर्थिक मोर्चे पर बड़ी दिक्कतों को सामना करना पड़ रहा है। परिवार बढ़ जाने के बाद भी उनके रहने के लिए कमरों की व्यवस्था नहीं होने के अगली पीढ़ीयों की शादियों की दिक्कत आ रही है, उनके रोजगार के साधन नहीं उपलब्ध हो पा रहे हैं। लोगों को अपने घरों को छोड़कर आबूरोड और अन्य स्थानों पर शिफ्ट होना पड़ रहा है।
उन्होंने अनुरोध किया कि उनके जनहितकारी फैसलों के तहत अगले सात दिनों में माउण्ट आबू में स्थानीय लोगों को राहत देने की प्रक्रिया की शुरूआत नहीं की गई तो मजबूर होकर जिला कलक्टर कार्यालय और फिर मुख्यमंत्री कार्यालय के समक्ष धरने पर बैठने को मजबूर होना पड़ेगा।