सबगुरु न्यूज-सिरोही। जबरिया सम्मान लेने की परंपरा नेताओं को छोड़कर दुनिया में शायद ही किसी में दिखे। भले ही ये ना करें कोई काम लेकिन, हर जगह मांगता है इनको अपना नाम।
इन पार्षदों के अकर्मण्यता की गवाही सिरोही शहर में पूरे पूरे दिन मुख्य मार्गों पर बिखरा कचरों के ढेर दे रहे हैं। शहर की टूटी सड़कें दे रही हैं। नगर परिषद में फैला भ्रष्टाचार दे रहा है। इस सबके बावजूद इन्हें कार्ड, शिलापट्ट पर अपना नाम चाहिए। यही नहीं जनता के पैसों की धूल धानी करके नगर परिषद द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में जनता के पैसों से मंगाई माला और साफे मेहमानों को पहनाने हुए मंच पर फोटोसेशन चाहिए।
<span;>इस बार वो नहीं मिला। तो सिरोही नगर परिषद के भाजपा और कांग्रेस पार्षद इसे अपना अपमान मानते हुए इसके लिए सिरोही सभापति महेंद्र मेवाड़ा और आयुक्त को दोषी बता रहे हैं। यूँ सभापति और आयुक्त से अपना नाम नहीं छापने पर घेरने वाले पार्षदो से सिरोही के लोग ये जरूर पूछ सकते हैं कि उन्होंने 3 सालों से शहर के लिए किया क्या है कि जनता के पैसे की मालाओं, कार्डों और शिलालेखों पर उनका नाम आये?
नगर पालिका अधिनियमो में दिए अपने अधिकारों से जनाबूझकर अनजान बने ये पार्षद इस बात के बेहतर जानकार हैं कि जिस तरह की अकर्मण्यता ये लोग कर रहे हैं, उनका दोबारा नगर पालिका में पहुँचना मुश्किल है। इसलिए अभी कहीं पर भी नाम आ जाये तो ठीक है।
-ये हुआ पार्षदों के साथ
2 अक्टूबर को गांधी की मूर्ति के अनावरण का कार्यक्रम हुआ। इस दौरान जो कार्ड छपा उसमें सभापति का नाम तो है। लेकिन, नगर परिषद के पार्षदो के नाम नहीं हैं। वैसे निवेदक में नगर परिषद सिरोही जरूर लिखा हुआ है। लेकिन, नगर परिषद में चुनकर पहुंच गए जो पार्षद ये नहीं जानते कि वार्डों में काम होने से ही नाम हो जाता है वो इस बात से तो अनजान होंगे ही कि ‘नगर परिषद’ लिखते ही इसमें समाहित समस्त पार्षद शुमार हो जाते हैं।
उधर, महात्मा गांधी की मूर्ति के अनावरण के दौरान मंच पर माल्यार्पण और साफापोशी के लिए भी इन पार्षदो क हीं बुलाया गया। इसके शिलालेख पर भी पार्षदों का नाम नही दिया गया सिर्फ समस्त पार्षदगण लिख दिया गया।
– राम सृदश लोककल्याणकारी नेताओं का ये भी अपमान
रावण वध के अलावा जनकल्याण के लिए समर्पित राजाओं में भारतीय उदाहरणों में मर्यादा पुरुषोत्तम राम का नाम सबसे प्रथम आता है। लेकिन,अपने अपने वार्डों के कल्याण के लिए नगर परिषद में चुनकर भेजे गए इन पार्षदों ने उन राम की तरह जनकल्याण तो नहीं किया फिर भी रावण दहन कार्यक्रम में इन स्वयंभू किंकर्तव्यविमूढ़ पार्षदो को नाम चाहिए।
इसके आमन्त्रण कार्ड पर भी इनका नाम नहीं होने से ये सब गुस्साए हुए हैं। इनका ये भी कहना है कि इस बार रावण दहन समिति भी नहीं बनाई गई। इसका गुस्सा इन लोगों ने सभापति और आयुक्त पर उतारा है। इस मामले में सारा दोष कार्यवाहक आयुक्त पर डालते हुए सभापति हथियार डालो मुद्रा में नजर आए।
पार्षदों की मानें तो कार्यवाहक आयुक्त का कहना है कि नगर परिषद में रावण दहन समिति नाम की कोई चीज नहीं होती। इसलिए इसके गठन की कोई जरूरत नहीं। वैसे आयुक्त की ये दलील 100% सत्य है। ऐसी कोई समिति नहीं होती और इसका गठन किया जाना गैर जरूरी है।
लेकिन, ये भी कहीं नहीं लिखा कि नगर परिषद में सफाई समिति के अध्यक्ष का पद उपसभापति के पास होगा। तो रावण दहन समिति की वर्जना को तोड़ने की तरह है शहर की सफाई व्यवस्था दुरुस्त करना जरूरी है। सबसे महती आवश्यकता सिरोही के उपसभापति को सफाई समिति अध्यक्ष पद से हटाकर किसी कर्मण्य पार्षद को इनकी जगह लाना भी उतना ही जरूरी है।
– होशियारी में कार्यवाहक आयुक्त कर गए सबसे बड़ी भूल
सिरोही कार्यवाहक आयुक्त पिंडवाड़ा नगर परिषद में भी पार्षदों से विवाद के कारण एपीओ हुए थे। लेकिन, पार्षदों को नियम कायदे सिखाने वाले कार्यवाहक आयुक्त खुद बड़ी भूल कर गए। 17 फरवरी 2021 को मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने एक परिपत्र पुनर जारी किया था। इसके अनुसार किसी भी सरकारी कार्यक्रम के उद्घाटन, शिलान्यास, लोकार्पण आदि के शिलालेखों पर किसी भी विभाग, बोर्ड, निगम, स्वायत्तशासी संस्था या राजकीय उपक्रम के किसी भी अधिकारी या कर्मचारी का नाम नहीं होगा। ऐसा होने पर उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
कायदों की बात करने वाले कार्यवाहक आयुक्त इस मामले में सबसे बड़ी भूल कर गए। उन्होंने महात्मा गांधी मूर्ति अनावरण शिलालेख पर अपना नाम गुदवाकर 5-10 हजार साल बाद भी अशोक और अन्य राजाओं की तरह अमर होने की मंशा पालने की गलती कर दी। अब वो अनुशासनहीनता की करवाई के पात्र बन गए।