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विजयादशमी पर जयपुर में 28 स्थानों से निकले संघ के पथ संचलन - Sabguru News
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विजयादशमी पर जयपुर में 28 स्थानों से निकले संघ के पथ संचलन

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विजयादशमी पर जयपुर में 28 स्थानों से निकले संघ के पथ संचलन

जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की ओर से आज विजयादशमी के अवसर पर 28 स्थानों पर 29 पथ संचलन निकले और शस्त्रपूजन कार्यक्रम किए गए।

इस अवसर पर स्वयंसेवकों ने दंड, नियुद्ध, योग और सूर्यनमस्कार किया। शस्त्र पूजन के बाद घोष के साथ सैंकड़ों स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश में पथ संचलन निकाला। इस दौरान नगरवासियों ने स्थान- स्थान पर पुष्पवर्षा कर संचलन का स्वागत किया। न्यू सांगानेर रोड़ के वीटी चौराहे और रोड़ संख्या पांच सीकर रोड़ पर द्विधारा संगम हुआ। यहां दो दिशाओं से आ रहे संचलन का संगम हुआ तो नयनाभिराम दृश्य देख लोग अभिभूत हो गए।

आरएसएस के अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख स्वांत रंजन ने विजयनगर में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि विजयादशमी शक्ति की उपासना का दिन है। प्रतीक के रूप में शस्त्र पूजन करते हैं। तीन प्रकार की शक्ति होती है। संगठित शक्ति, धन की शक्ति, ज्ञान की शक्ति, जिसके पास ज्ञान है, वही शक्तिशाली है। विवेकशील व्यक्ति ही इन शक्तियों का सही उपयोग कर सकता है। डॉ हेडगेवार ने संघ की स्थापना समाज को शक्तिशाली बनाने के लिए की।

इस मौके राजस्थान के क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम ने तेजाजी नगर में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि संपूर्ण भारत से विश्व के अंदर धर्म की विजय और शक्ति का एक संदेश देने वाला आज का ये दिन हैं। परंपरा से अपने देश के अंदर विजयादशमी को हम सभी शस्त्र पूजन करते हैं। सौभाग्य से अपने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का काम विजय दशमी के दिन प्रारंभ हुआ। संघ आज सत्तानवे वर्ष का हो गया।

जयपुर के पॉन्ड्रिक नगर में आयोजित कार्यक्रम को क्षेत्र कार्यवाह जसवंतसिंह ने संबोधित किया। उन्होंने बताया कि संघ के स्वयंसेवक समाज के प्रत्येक क्षेत्र में देश के कोने कोने में विपत्ति में सभी लोगों की मदद करते हैं। इस कार्य को स्वयंसेवक बिना किसी दबाव के स्वयं प्रेरणा से करते हैं। देश में किसी भी प्रकार की विपत्ति चाहे बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र, भूकंप प्रभावित क्षेत्र या विश्वव्यापी कोरोनावायरस की भयंकर प्रलयलीला हो सभी विपत्तियों में स्वयंसेवक सबसे आगे खड़ा रहा।

मानसरोवर में आयोजित कार्यक्रम को संघ के राजस्थान क्षेत्र प्रचार प्रमुख महेंद्र सिंहल ने संबोधित करते हुए कहा कि यदि दुनिया में और समाज में शांति स्थापित करनी है तो उसके लिए सज्जन लोगों का शक्ति संपन्न होना अति आवश्यक है। सनातन हिंदू संस्कृति ही सर्वे भवन्तु सुखिन: की कामना मन में लेकर विश्व कल्याण की बात करती है। हम कितने भी संस्कार युक्त और गुणों से संपन्न हों लेकिन यदि शक्तिहीन हैं तो कोई भी हमारी बात नहीं सुनेगा। संघ समाज की इसी संगठित शक्ति को जागृत करने का कार्य अपनी स्थापना के समय से ही लगातार कर रहा है।

विद्याधर नगर में स्वयंसेवकों और प्रबुद्ध नागरिकों को संबोधित करते हुए आरएसएस के जयपुर प्रांत प्रचारक डॉ. शैलेन्द्र कुमार ने कहा कि समाज की सज्जन शक्ति की निष्क्रियता से अनाचार की प्रवृत्ति हावी हो रही है। अच्छे लोगों की संख्या अधिक होने के बावजूद समाज में दुर्जनों का मनोबल और बढ़ रहा है। इसलिए वर्तमान में निरंतर बढ़ रही राष्ट्र विरोधी और अवांछित गतिविधियों में लिप्त तत्वों पर अब समाज की प्रभावी सर्जिकल स्ट्राइक की जरूरत है।