कुछ महीनों पूर्व कर्नाटक में हिजाब पहनकर विद्यालय-महाविद्यालय में प्रवेश करने वाली मुसलमान लडकियों का विषय सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंचा। वर्तमान में हिजाब का विरोध करने वाले ईरान और अन्य इस्लामी देशों की महिलाओं की भावनाओं की ओर क्यों नहीं देखा जाता?
भारत की घटनाएं और संपूर्ण संसार की घटनाएं, इस प्रकार देखते हुए चुनिंदा आक्रोश दिखाई देता है। अन्य समय विविध घटनाओं में अन्य देशों के उदाहरण देने वाले वर्तमान में संपूर्ण संसार के इस्लामी देशों में जब हिजाब का विरोध हो रहा है, तब भारत में हिजाब का समर्थन करनेवाले अब कहां हैं?, ऐसा प्रश्न दुर्ग, छत्तीसगढ की अधिवक्ता रचना नायडू ने उपस्थित किया। वे हिन्दू जनजागृति समिति आयोजित ‘संपूर्ण संसार में हिजाब का विरोध, तो भारत में हिजाब के लिए आंदोलन! इस विषय पर ऑनलाइन विशेष संवाद में बोल रही थीं।
‘संगम टॉक्स’ की संपादिका तान्या ने कहा कि, हिजाब की अनिवार्यता इस्लामिक देशों का राजनीतिक कार्यक्रम है। कुछ महीनों पूर्व हमारे देश के कुछ राज्यों के विद्यालयों में हिजाब का विरोध हुआ, इसलिए मुसलमान लडकियों ने आंदोलन किया। इस घटना के वीडियो योजनाबद्ध रूप से लोगों तक पहुंचाए गए। विद्यालय में हिजाब पहनकर ही आएं, इस मांग के लिए इस विद्यालय की लडकियों को वकील भी सहजता से मिल गए और वे सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच गए। उन्हें मुसलमान संगठनों का समर्थन भी मिला। हिजाब का विषय हमारे देश में अस्थिरता उत्पन्न करने के लिए किया गया।
सनातन संस्था की क्षिप्रा जुवेकर ने कहा कि पारसी बंधुओं का पर्शिया देश ईरान बन गया। इसी ईरान की मुसलमान महिलाओं ने हिजाब का तीव्र विरोध किया है। कुछ तथाकथित उदारतामतवादी षड्यंत्र द्वारा हिजाब का समर्थन कर रहे हैं।
नारीशक्ति एकत्रित आने पर क्या हो सकता है, यह संपूर्ण संसार से महिलाओं का हिजाब को हो रहे विरोध से ध्यान में आ रहा है। ईरान जैसे अनेक इस्लामी देशों में वहां के कष्टदायक कानूनों के कारण मुसलमान महिलाओं पर ही अत्याचार हो रहे हैं, जिसे अब विरोध हो रहा है। हिन्दू धर्म महिलाओं को देवी के समान मानता है, इस धर्म के आधार पर हिन्दू राष्ट्र स्थापित होने के उपरांत महिलाएं अवश्य सुरक्षित रहेंगी।