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सांप्रदायिक उन्माद की घटनाओं में गहलोत सरकार का अप्रत्यक्ष प्रश्रय : शेखावत - Sabguru News
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सांप्रदायिक उन्माद की घटनाओं में गहलोत सरकार का अप्रत्यक्ष प्रश्रय : शेखावत

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सांप्रदायिक उन्माद की घटनाओं में गहलोत सरकार का अप्रत्यक्ष प्रश्रय : शेखावत

जयपुर। केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने सोमवार को राज्य सरकार पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि राज्य में जिस प्रकार साम्प्रदायिक उन्माद फैल रहा है और उन्मादियों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही, इससे स्पष्ट है कि गहलोत सरकार ऐसे लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से प्रश्रय दे रही है। राज्य में रोजाना कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब हो रही है। महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ रहे हैं और सरकार ‘किस्सा कुर्सी का’ खेल रही है। राज्य की जनता सब देख रही है और वह चुनाव में इसका बदला कांग्रेस से अवश्य लेगी।

मीडिया से रू-ब-रू होते हुए केन्द्रीय मंत्री शेखावत ने राज्य के ज्वलंत मुद्दों पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र में ‘सर तन से जुदा’ जैसे नारे लग रहे हैं। इन्हें कौन प्रश्रय दे रहा है? जिस तरह से करौली, भीलवाड़ा, जोधपुर व उदयपुर की घटना हुईं और इन घटनाओं में जांच से लेकर मुआवजे तक जिस तरह से तुष्टीकरण हुआ, उसके चलते उन्माद फैलाने की मानसिकता वाले लोगों को प्रश्रय मिला है। अपने वोटबैंक को बचाने की खुदगर्जी से सत्ता पर बने रहने की लालसा से राजस्थान को ऐसे उमान्द में झौंकने वालों का हौसला बढ़ाया जा रहा है। जब ऐसे तत्वों के प्रति कार्रवाई में उदासीनता दिखाई जाती है तो सरकार का यह अप्रत्यक्ष प्रश्रय दिखाई देने लगता है।

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री जो यहां के गृह मंत्री भी हैं, उनके गृह जिले में ऐसे नारे लगाए जाएं और फिर कोई कार्रवाई होती हुई दिखाई नहीं दे तो जनता निश्चित रूप से डर के साये में जीने को मजबूर होगी। शेखावत ने कहा कि राज्य में अपराध बढ़ रहे हैं। बालिकाओं के साथ दुष्कर्म हो रहे है। सोई हुई वृद्धा के पैर काटकर कड़े निकालने जैसी घटनाएं हो रही हैं। लेकिन, सरकार और पुलिस केवल अपराधों पर पर्दा डालने का काम कर रही है। घटनाओं के लिए रिश्तेदारों को दोषी ठहराना और बाद में बेशर्मी के साथ यह कहना कि हम ज्यादा केस रजिस्टर्ड करते हैं, इसलिए यह नंबर बढ़ रहा। यह सब समाज की आंखों में धूल झौंकने के समान है।

विफलता का ठीकरा दूसरों के सिर फोड़ रहे

ईडी और सीबीआई जैसी संस्थाओं के दुरुपयोग के सवाल पर केन्द्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि मैं तो इस समय धन्यवाद देना चाहता हूं माननीय मुख्यमंत्री जी को, उन्होंने कम से कम इस समय जब राजस्थान में ‘किस्सा कुर्सी का’ चल रहा है, उसके लिए सेंट्रल एजेंसी और भाजपा को दोषी नहीं ठहराया, वरना अब तक तो यही परिपाटी उन्होंने बना रखी थी कि देश-प्रदेश मेें कहीं भी घटना हो, अपने फेल्योर का ठीकरा केन्द्र सरकार पर फोड़कर निकल जाओ।

भाजपा पर सरकार गिराने का आरोप को जनता समझ चुकी

शेखावत ने कहा कि मुख्यमंत्री भाजपा पर सरकार गिराने के षड्यंत्र रचने का आरोप लगाते रहते हैं। उन्होंने इस आरोप को इतनी बार दोहराया कि अब यह ‘भेड़िया आया-भेड़िया आया’ जैसा लगने लगा है। वर्ष 2020 की उस घटना में यह कहा गया था कि भाजपा और केन्द्र सरकार ने बाउंसर्स के दम पर कांग्रेस विधायकों को रोक रखा है। उनके मोबाइल छीन रखें हैं। दूसरी ओर, अपनी ही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को नाकारा-निकम्मा कहा जा रहा था। मैं आज दो साल बीत जाने के बाद मुख्यमंत्री से प्रश्न करना चाहता हूं कि वो जो 19 लोग गए थे, क्या उनमें से किसी ने भी बाहर आकर पुलिस या मीडिया के सामने यह कहा कि हमेें भाजपा ने उकसाया था। भाजपा का ऑपरेशन लोट्स था। शेखावत ने कहा कि आपने उनको मंत्री पद से नवाज दिया। फिर भी भाजपा नेतृत्व पर दोषारोपण कर रहे हैं, लेकिन लोग अब इस भेड़िया आया कथा को समझ गए हैं।

कांग्रेस में स्थानीय और राष्ट्रीय नेतृत्व में विचारों को गैप

मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों निवेश के लिए अडाणी के साथ जय शाह का नाम भी लिया था? के सवाल के जवाब में शेखावत ने कहा कि जब ये लोग किसी और राज्य में जाकर काम करें तो वे सत्ता द्वारा पोषित हो जाते हैं, लेकिन यही उद्यमी जब राजस्थान में निवेश करें तो उनके सामने रेड कॉरपेट बिछाया जाता है। जिन्हें आप रोज गाली दे रहे थे, उनके लिए आप यहां अभिनंदन के सत्र आयोजित कर रहे हो। यह दोहरी मानसिकता है। स्थानीय नेतृत्व और राष्ट्रीय नेतृत्व के बीच विचारों का गैप भी स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस सरकार अपनी योजनाओं के बूते रिपीट होने का दावा कर रही है, लेकिन ऐसी कौन-सी ऐसी योजना है, जिसे वो धरातल पर सही ठहरा सकते हैं। चिरंजीवी योजना को लेकर तो उनके विधायकों को ही विधानसभा में प्रश्न उठाने पड़े। केवल बजट अच्छा देने और उसकी आत्मप्रशंसा करने से कुछ नहीं होता।

कांग्रेस सरकार ईआरसीपी पर फैला रही भ्रम

ईआरसीपी के सवाल पर शेखावत ने खुलकर अपनी बात कही। उन्होंने कहा कि ईआरसीपी पर गहलोत सरकार केवल भ्रम फैला रही है। बार-बार आग्रह के बावजूद भारत सरकार की जो मान्यताएं और परम्पराएं हैं, उसके अनुरूप काम ना करके केवल अपनी जिद के आधार पर इस परियोजना को उलझाने का षड्यंत्र मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कर रहे हैं। वे इन 13 जिलों की जनता को अपने राजनीतिक लाभ के लिए भ्रमित कर रहे हैं और कह रहे हैं कि इस परियोजना को अपने बूते पर पूरा करेंगे, जो ये कभी नहीं कर पाएंगे। शेखावत ने कहा कि मध्यप्रदेश इस पर निरंतर आपत्ति करता रहा है। जिस दिन मध्यप्रदेश कोर्ट में चला जाएगा, यह परियोजना रुक जाएगी। बाद में ‘मामला कोर्ट में है’ यह कहकर गहलोत अपना पल्ला झाड़ लेंगे। ईआरसीपी को लेकर इनका एकमात्र उद्देश्य यदि कोई है तो वह यह है कि इसका राजनीतिक लाभ कैसे प्राप्त किया जाए?

अपने गृह जिले की पेयजल परियोजनाएं ही पूरी नहीं कर पा रहे मुख्यमंत्री

केन्द्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि गहलोत अपने गृह जिले जोधपुर की पेयजल परियोजनाएं ही पूरी नहीं कर पा रहे, जिसकी घोषणा उन्होंने वर्ष 2018 और बाद में वर्ष 2019 के बजट में की थी। वे ही धरातल पर नहीं उतर रहीं। ऐसे में राज्य की दूसरे क्षेत्र की जनता उनसे क्या अपेक्षा करेगी?

जल जीवन मिशन में बहुत पीछे है राजस्थान

शेखावत ने जल जीवन मिशन की अब तक की प्रगति पर चर्चा करते हुए कहा कि पूरे देश में आजादी से लेकर वर्ष 2019 तक जब यह मिशन शुरू हुआ था, तब तक देश में 3.23 करोड़ नल कनेक्शन थे, आज यह आंकड़ा बढ़कर 10.30 करोड़ को पारकर गया। 3.23 करोड़ घरों में नल पहुंचने में 72 साल लग गए, लेकिन तीन साल से भी कम समय हुआ है, अब तक सात करोड़ से ज्यादा कनेक्शन हम दे चुके हैं। गोवा, हरियाणा और तेलंगाना ने 100 फीसदी लक्ष्य हासिल कर लिया। पंजाब, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और बिहार 95 से 99 प्रतिशत तक पहुंच गए। दुर्भाग्य से राजस्थान अभी 12 प्रतिशत से 26 प्रतिशत की उपलब्धि पर चल रहा है। 50 प्रतिशत कामों के टेंडर भी नहीं हुए हैं। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने राजस्थान को 27 हजार करोड़ रुपए की राशि जारी की है, उसमें से मात्र 4 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। भारत सरकार की सभी योजनाओं की स्थिति राजस्थान में कमोबेश इसी प्रकार की है। करप्शन भी है। राजस्थान में सबकुछ साफ और उजला नहीं है।