नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट मामले में महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को जमानत देने के बम्बई हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली प्रवर्तन निदेशालय की याचिका मंगलवार को खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय की याचिका पर यह कहते हुए विचार करने से इनकार कर कि उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है।
पीठ ने हालांकि स्पष्ट किया कि चूंकि उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में सिर्फ इस तथ्य पर विचार किया कि देशमुख जमानत के हकदार हैं या नहीं। इस वजह से उच्च न्यायालय के आदेश का ईडी के मुकदमे या किसी अन्य कार्यवाही पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
पीठ ने कहा कि हम स्पष्ट करते हैं कि वो मुकदमे या किसी अन्य कार्यवाही के गुण-दोष को प्रभावित नहीं करेंगे। देशमुख और उनके कई सहयोगियों पर 2019-21 के दौरान हुए कथित भ्रष्टाचार की जांच की जा रही है।
वकील डॉ जयश्री पाटिल की एक शिकायत की प्रारंभिक जांच के निष्कर्षों के आधार पर सीबीआई ने देशमुख और अज्ञात अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। सीबीआई की इस प्राथमिकी के आधार पर बाद में ईडी ने देशमुख के खिलाफ पीएमएलए के मामला दर्ज किया। नवंबर 2021 में उन्हें गिरफ्तार किया गया था। बम्बई उच्च न्यायालय ने करीब एक साल से जेल में बंद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता देशमुख को चार अक्टूबर को जमानत दी थी।