जयपुर। राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम के कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर चलाए जा रहे आंदोलन के तहत आज एक घंटे का कार्य बहिष्कार किया।
रोडवेज के श्रमिक संगठनों के संयुक्त मोर्चे के आह्वान पर प्रदेशभर में रोडवेज के 52 आगारों एवं तीन केंद्रीय कार्यशालाओं के कर्मचारियों ने दोपहर एक से दो बजे तक कार्य बहिष्कार किया। कार्य बहिष्कार के दौरान रोडवेज के 52 आगारों के मुख्य बस स्टैंडों से प्रस्थान होने वाली बसों के पहिए थमे रहे।
राजस्थान रोडवेज के श्रमिक संगठनों के संयुक्त मोर्चा के प्रदेश संयोजक एम एल यादव ने बताया कि संयुक्त मोर्चे द्वारा रोडवेज बचाओ-रोजगार बचाओ संकल्प के साथ रोडवेज एवं कर्मचारी हित की 21 सूत्री मांगों के लिए आगामी 24 नवंबर को एक दिन की प्रदेशव्यापी हड़ताल तक के नौ चरणों के गत 20 सितंबर से शुरू किए गए आंदोलन के चौथे चरण में रोडवेज कर्मचारियों ने यह प्रदेशव्यापी कार्य बहिष्कार किया।
उन्होंने बताया कि जयपुर में सिंधी कैंप बस स्टैंड के पोलोविक्ट्री साइड के निकास द्वार पर सैकड़ों की संख्या में सेवारत एवं सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने मांगों की तख्तियों एवं झंडे-बैनर के साथ एक से दो बजे तक रोडवेज प्रबंधन एवं राज्य सरकार की बेरुखी के खिलाफ नारे लगाते हुए प्रदर्शन किया और आमसभा की। इस दौरान सिंधी कैंप बस स्टैंड से विभिन्न स्थानों के लिए प्रस्थान करने वाली एक सौ से ज्यादा बसों का संचालन नहीं हो सका।
यादव ने कहा कि गत अगस्त से सितंबर तक दो महीनों के बकाया वेतन, दो माह की बकाया पेंशन एवं गत आठ माह में सेवानिवृत्त हुए पांच सौ से ज्यादा कर्मचारियों के बकाया सेवानिवृत्ति परिलाभों में से दो माह के परिलाभ का अभी तक भुगतान नहीं होने तथा 24 अक्टूबर की दीपावली से पूर्व बोनस एवं एक्सग्रेशिया के भुगतान के प्रति अनिश्चितता की स्थिति के कारण कर्मचारियों में भारी आक्रोश व्याप्त है।
इस अवसर पर यादव, राजस्थान स्टेट रोडवेज एप्लाइज यूनियन (एटक) के प्रदेश उप महासचिव धर्मेंद्र चौधरी, राजस्थान रोडवेज वर्कर्स यूनियन (सीटू) के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष सतबीर चौधरी, राजस्थान रोडवेज मजदूर कांग्रेस (इंटक) के प्रदेश अध्यक्ष पुष्पेंद्र शर्मा, आरएसआरटीसी रिटायर्ड एम्पलाइज एसोसिएशन के प्रदेश महासचिव हरगोविंद शर्मा एवं राजस्थान रोडवेज सेवानिवृत कर्मचारी कल्याण समिति के प्रदेश अध्यक्ष ताराचंद जैन ने कर्मचारियों की आम सभा को संबोधित करते हुए रोडवेज प्रबंधन एवं राज्य सरकार के उपेक्षापूर्ण व्यवहार की कड़ी आलोचना की।
उन्होंने मांग की कि कहा कि जन सेवा से जुड़े रोडवेज संस्थान में औद्योगिक शांति के लिए संयुक्त मोर्चे की 21 सूत्री मांगों को समय रहते स्वीकार किया जाना चाहिए।