नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि भारत में विरासत के प्रति उदासीनता से देश को बड़ा नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि हमारे गौरवशाली इतिहास की ऐसे अनेक गाथाएं हैं, जिनसे देश बहुत कुछ सीख सकता था, जिसमें हमारी समुद्री विरासत भी शामिल है जिसके बारे में बहुत कम चर्चा की गई है।
मोदी ने कहा कि हजारों वर्ष पहले कच्छ में बड़े-बड़े समुद्री जहाजों के निर्माण का पूरा उद्योग चला करता था और भारत में बने जहाज दुनिया भर में बेचे जाते थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि विरासत के प्रति उदासीनता ने देश का बहुत नुकसान किया है। यह स्थिति बदली जानी चाहिए।
मोदी गुजरात के लोथल में 35 सौ करोड़ रुपए की लागत से विकसित किए जा रहे राष्ट्रीय समुद्री धरोहर परिसर के स्थल कार्य प्रगति की समीक्षा के बाद वहां मौजूद लोगों को संबोधन कर रहे थे। प्रधानमंत्री इस कार्यक्रम में शाम लगभग पांच बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए।
मोदी ने कहा कि सदियों पहले भारत का कारोबार दुनिया के एक बड़े हिस्से में छाया हुआ था। हमारे रिश्ते दुनिया के हर सभ्यता के साथ रहे, इसके पीछे भारत की समुद्री शक्ति की बहुत बड़ी भूमिका थी।
गौरतलब है कि लोथल दरअसल हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख शहरों में से एक था और वहां पुरातात्विक उत्खनन में सबसे पुराने मानव निर्मित गोदी की खोज हुई है। लोथल में एक समुद्री धरोहर परिसर को विकसित किया जाना दरअसल इस शहर की ऐतिहासिक विरासत और धरोहर के लिए उपयुक्त है।
मोदी ने कहा कि सरकार धोलावीरा और लोथल जैसे प्राचीन ऐतिहासिक स्थलों को भारत के गौरव के इन केन्द्रों को उसी रूप में लौटाया जाएगा, जिसके लिए कभी ये मशहूर थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि दक्षिण में चोल साम्राज्य, चेर राजवंश, पांड्य राजवंश भी हुए, जिन्होंने समुद्री संसाधनों की शक्ति को समझा और उसे एक अभूतपूर्व ऊंचाई दी थी।
मोदी ने छत्रपति शिवाजी महाराज का उल्लेख करते हुए कहा कि इस मराठा शासक ने एक सशक्त सेना का गठन किया और विदेशी आक्रांताओं को चुनौती दी, पर ऐसे भारत के कुछ गौरवपूर्ण अध्यायों को नजरअंदाज ही किया गया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वर्ष लाल किले से पंच प्राणों की चर्चा करते हुए मैंने अपनी विरासत पर गर्व की बात की थी। हमारी समुद्री विरासत हमें पूर्वजों द्वारा को सौंपी गयी ऐसी ही धरोहर है। मोदी ने कहा कि लोथल परिसर के पुनर्विकास की परियोजना लोथल के पुराने वैभव को फिर से सबके सामने लाने का प्रयास है, इसके लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का प्रयोग किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास इस परिसर तक ही सीमित ही नहीं है बल्कि गुजरात के तटीय क्षेत्रों में कई अत्याधुनिक अवसंरचना विकास परियोजनाएं विकसित की जा रही हैं। हमारी सरकार इस इलाके को पुनः उसी तरह विकसित करना चाह रही है, जिस तरह यह हजारों साल पहले था।
उन्होंने कहा कि लोथल जो अपने इतिहास से हमें गौरान्वित करता है और अब हमारी नई पीढियों का भविष्य गढ़ेगा। उन्होंने कहा कि लोथल का विकास इस तरह किया जा रहा है ताकि भारत के लोग इसके इतिहास को आसानी से समझ सकें।
सरकार का कहना है कि लोथल को एक विश्व स्तरीय अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में उभरने में मदद करने के लिए भी विकसित किया जा रहा है जो कि अपनी तरह की एक परियोजना है। इस परियोजना के माध्यम से पर्यटन क्षमता को बढ़ावा देने से इस क्षेत्र में आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।
इस परिसर पर मार्च 2022 में काम शुरू हुआ था। उसके लगभग 3500 करोड़ रुपए की लागत से विकसित किया जा रहा है। इसमें कई नवीन और अनूठी विशेषताएं होंगी। इसमें हड़प्पा वास्तुकला और जीवन शैली को फिर से जीवंत करने के लिए लोथल मिनी रिक्रिएशन, चार थीम पार्क-मेमोरियल, समुद्री और नौसेना, जलवायु और साहसिक और मनोरंजन थीम पार्क, दुनिया का सबसे ऊंचा लाइटहाउस संग्रहालय, हड़प्पा काल से लेकर अब तक भारत की समुद्री धरोहर पर प्रकाश डालने वाली चौदह दीर्घाएं; तटीय राज्यों का मंडप का विकास शामिल है जो राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विविध समुद्री धरोहर को प्रदर्शित करेगा।