जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर में रोशनी का पर्व दीपावली पर इस बार घरों में गोबर के बने दीपक से घर आंगन रोशन होंगे।
दीवाली पर इस बार मिट्टी के दीपक के स्थान पर इस बार गाय के गोबर से बने दीपकों से घर-आंगन रोशन करने के लिए जयपुर के हिंगोनिया गौ पुनर्वास केंद्र में गाय के गोबर से दीपक बनाने का कार्य तेजी से चल रहा है और प्रतिदिन लगभग दो हजार दीपक बनाए जा रहे है।
इस केंद्र के ऑर्गेनिक फार्म में गाय के गौबर से दीपक बनाने के लिए हरे कृष्ण मूवमेंट के भक्तों ने इस दिशा में अभिनव पहल की है। इको फ्रेंडली होने के चलते राज्य के अन्य शहरों और अन्य राज्यों में भी इसकी मांग आ रही है। इसके अलावा यहां बचे हुए गोबर चूर्ण और पत्तियों से ऑर्गेनिक खाद (वर्मी कम्पोस्ट) एवं यज्ञ में उपयोग होने वाली सुगन्धित धूप एवं इको फ्रेंडली गो कास्ट भी बनाई जा रही है।
हिंगोनिया गोशाला के अध्यक्ष रघुपति दास ने बताया कि शास्त्रों के मुताबिक गौमाता के गोबर का उपयोग धार्मिक कार्यो में किया जाता है। इसलिए हमारा लक्ष्य 25 हजार दीये बनाने का है ताकि लोग गाय के गोबर के महत्व को जाने। इसके साथ हवन तथा यज्ञ में उपयोग होने वाली सुगन्धित धूप एवं इको फ्रेंडली गो कास्ट भी बनाई जा रही है।
दीपक बनाने के लिए पहले गाय के सूखे गोबर का उपयोग किया जाता है और करीब एक किलो गोबर में 50 ग्राम मैदा लकड़ी चूर्ण और 50 ग्राम ग़म ग्वार मिलाकर दीपक बनाया जाता है। दो दिनों तक इसे धूप में सुखाया भी जाता है और उपयोग के बाद इन दीपक के अवशेष को खाद के रूप में उपयोग लिया जा सकता है।