चेन्नई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तमिलनाडु इकाई ने कहा कि वह मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ कल रूट मार्च नहीं निकालेगा और वह आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।
मद्रास उच्च न्यायालय ने आरएसएस द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए उसे 50 में 44 स्थानों पर पाबंदियों के साथ रूट मार्च निकालने की अनुमति दी। उन्हें एक सभागार में या एक स्टेडियम में या परिसर की चार दीवारों के भीतर कार्यक्रम आयोजित करने को कहा।
आरएसएस ने आज जारी एक बयान में दक्षिण क्षेत्र के अध्यक्ष आर. वन्नियाराजन ने उच्च न्यायालय द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की ओर इशारा करते हुए कहा और कहा कि जम्मू-कश्मीर, केरल और पश्चिम बंगाल राज्यों सहित पूरे देशभर में सार्वजनिक सड़कों पर रूट मार्च आयोजित किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मद्रास उच्च न्यायालय का फैसला हमें स्वीकार्य नहीं है।” उन्होंने कहा कि हम कल की योजना के अनुसार रूट मार्च नहीं करेंगे और आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के 75वें वर्ष और डॉ बीआर अंबेडकर की 125 वीं जयंती के अवसर को यादगार बनाने के लिए आरएसएस ने इस वर्ष दो अक्टूबर को 50 स्थानों पर रूट मार्च आयोजित करने की योजना बनाई है।
राज्य पुलिस द्वारा पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के परिसरों पर छापेमारी और उसपर प्रतिबंध लगाने के बाद कुछ हिंसक घटनाओं के मद्देनजर कानून और व्यवस्था का हवाला देते हुए मार्च की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। उसके बाद आरएसएस ने मद्रास उच्च न्यायालय का रूख किया था।
उल्लेखनीय है कि पुलिस ने कानून और व्यवस्था के मुद्दों का हवाला देते हुए आपत्ति जताई, अदालत ने आरएसएस द्वारा दायर एक याचिका को स्वीकार करते हुए फैसला सुनाया कि दो अक्टूबर की बजाय छह नवंबर को पाबंदियों के साथ रूट मार्च के संचालन के लिए अनुमति दी जाए।