नई दिल्ली। इंटरनेट सोसायटी की पाॅलिसी एंड एडवोकेसी मैनेजर नीति बियानी ने भारतीय दूरसंचार विधेयक 2022 के मसौदे में किए गए प्रावधानों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा कि सरकार को इंटरनेट निलंबित करने का अधिकार देने वाले प्रावधान को हटा दिया जाना चाहिए। कम-से-कम सरकार के इंटरनेट को निलंबित करने के आर्डर पे स्वतंत्र समीक्षा बोर्ड या फिर संसदीय या न्यायिक निरीक्षण अनिवार्य होना चाहिए।
सितंबर 2022 में दूरसंचार विभाग ने भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2022 का मसौदा सभी हितधारकों से परामर्श के लिए प्रस्तावित किया था। विधेयक के मसौदे का उद्देश्य देश में दूरसंचार सेक्टर के विनियमन के लिए एक मजबूत ढांचा तैयार करना है।
बियानी ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शुक्रवार को कहा कि यह विधेयक दूरसंचार सेक्टर को विनियमित करने मे अधिक कारगर नहीं होगा। पहले तो यह विधेयक आई टी मंत्रालय और भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (सर्ट-इन) के क्षेत्राधिकार की लक्ष्मण रेखा लांग रहा है। इसका भविष्य मे सेक्टर की स्थिरता पे गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
यह नियम अपराधियों को पकड़ने की आस में सरकार को सभी नागरिकों के सन्देश पढ़ने का अधिकार भी प्रदान करता है। इसके तहत जो सन्देश कल तक व्हाट्सऐप पर निजता-पूर्वक सुरक्षित थे उनका भविष्य अब सुनिश्चित नहीं है। यह नियम लाखों उपयोगकर्ताओं की निजता और व्यवसायों की सुरक्षा के सन्दर्भ में नई समस्याओं को जन्म देते हुए भारतीय डिजिटल अर्थव्यवस्था को झकझोरने की क्षमता रखते हैं।
उन्होंने कहा कि यह विधेयक कई कानूनी परिभाषाओं का विस्तार करता है, जिसमें एक ‘दूरसंचार सेवा’ भी शामिल है। इन नियमों के अनुसार किसी भी इंटरनेट पर आधारित सेवा, जैसे व्हाट्सऐप या जी-मेल, को भारत में व्यवसाय करने के लिए लाइसेंस प्राप्त करना पड़ेगा। लाइसेंस-राज इन व्यवसायों की सेवाओं मे खलल पैदा कर सकता है, जिसका सीधा असर पड़ता है भारत के ट्रिलियन डॉलर डिजिटल अर्थव्यवस्था बनने की इच्छा पर।
उन्होंने कहा कि देश के सकल घरेलू उत्पाद में डिजिटल अर्थव्यवस्था का अहम् योगदान है, यह नियम टेलीकॉम सेक्टर की वृद्धि पे अंकुश लगा रहे है। लाइसेंस प्राप्ति प्रावधान का सीधा प्रभाव छोटे प्लेटफार्मों और स्टार्ट-अप पर पड़ेगा जिनको नियमो का अनुपालन करने में ही अधिकतम खर्च और तक़लीफ़े उठानी पड़ेंगी।
उन्होंने टॉप10-वीपीएन की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भारत ने 2021 में 1,157 घंटों के लिए इंटरनेट निलंबित किया, जिसके परिणामस्वरूप 58.3 करोड़ डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ। पिछले तीन वर्षों में, भारत में कुल 14,280 घंटों के लिए इंटरनेट बंद कर दिया गया, जिससे राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को 4.7 अरब डॉलर का नुकसान हुआ।