नई दिल्ली। हिन्दू राष्ट्र स्थापना के लिए वैचारिक, संवैधानिक एवं आध्यात्मिक स्तर पर मंथन करने, हिन्दू समाज का नेतृत्व करने वाले हिन्दू संगठनों का महासंगठन बनाने, हिन्दू धर्म पर हो रहे आघातों के विषय में एक समान कृति कार्यक्रम निश्चित कर हिन्दू राष्ट्र स्थापना की मांग प्रबलता से उठाने के उद्देश्य से हिन्दू जनजागृति समिति राजधानी देहली में 19 तथा 20 नवंबर 2022 को उत्तर भारत हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन का आयोजन करेगी।
अधिवेशन में उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों से पधारे प्रबुद्धजनों का उद्बोधन होगा। धर्मरक्षा का कार्य करते समय आने वाली बाधाएं एवं किए प्रयासों पर संगठन अपना अनुभव सबके समक्ष रखेंगे साथ ही गुटचर्चा के माध्यम से समान सूत्री कार्यक्रम तय किया जाएगा। इस अधिवेशन के लिए उत्तर भारत के पूर्व उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, देहली, राजस्थान एवं मध्य प्रदेश आदि 8 राज्यों से 300 मान्यवरों को आमंत्रित किया गया है। जिसमें हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के पदाधिकारी, मंदिर विश्वस्त, अधिवक्ता, विचारक इनका समावेश हैं।
अधिवेशन के लिए हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक चारुदत्त पिंगळे, सुदर्शन वाहिनी के मुख्य संपादक सुरेश चव्हाणके, ज्ञानवापी मुक्ति के लिए लडने वाले अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, हिंदू इकोसिस्टम के संस्थापक अध्यक्ष कपिल मिश्रा, हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे तथा सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता चेतन राजहंस समेत अनेक गणमान्यजनों का उद्बोधन होगा।
विश्व के अधिकांश देश अपने बहुसंख्यक समाज का धर्म, संस्कृति, भाषा एवं हित को संरक्षण देते हैं। इसके विपरीत भारत में इस्लाम, इसाई तथा अन्य अल्पसंख्यक पंथों को अनुच्छेद 29 एवं अनुच्छेद 30 द्वारा विशेष संरक्षण दिया गया है। हिन्दू धर्म पर हो रहे आघात रोकने के साथ सनातन धर्म की रक्षा के लिए भारत हिन्दू राष्ट्र घोषित होना आवश्यक है।
इस दृष्टी से इस अधिवेशन में मंदिर मुक्ति, हलाल जिहाद का विरोध, धर्मांतरण प्रतिबंधक कानून, विस्थापित कश्मीरी हिन्दुओं का पुनर्वसन; पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका के हिन्दुओं पर हुए अत्याचार एवं उनकी सुरक्षा, जैसे विभिन्न ज्वलंत विषयों पर मंथन होगा।
हिन्दू राष्ट्र संसद के 2 विशेष सत्र इस अधिवेशन में होंगे। जिसमें मंदिर रक्षा एवं संवर्धन तथा नई शिक्षा नीति, इन विषयों पर यह सत्र रहेंगे। जिसमें सहभागी प्रतिनिधी इन विषयों को लेकर अपने प्रस्ताव हिन्दू राष्ट्र संसद में रखेंगे। इस दो दिवसीय अधिवेशन के उपरान्त हिन्दू समाज की मांगे प्रस्ताव के रूप में सरकार के समक्ष रखी जाएगी।