डूंगरपुर। राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डा सतीश पूनियां ने राज्य की कांग्रेस सरकार को अब तक की सबसे नकारा, निकम्मी, अकर्मण्य, भ्रष्ट और अराजक सरकार करार देते हुए कहा है कि उसकी वादाखिलाफी, बिगड़ती कानून व्यवस्था, बेरोजगारी एवं लगातार जनता की अनदेखी के कारण बने सत्ता विरोधी रुझान को भाजपा ने जन आक्रोश नाम दिया है और जनता की उन्हीं चीजों को मुखर करने के लिए जन आक्रोश अभियान शुरू किया जा रहा हैं।
डा पूनिया सोमवार को डूंगरपुर पार्टी जिला कार्यालय में प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भाजपा के जन आक्रोश अभियान की विधिवत शुरूआत एक दिसंबर को जयपुर से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जनआक्रोश रथों की रवानगी से करेंगे। उन्होंने कहा कि सभी 200 विधानसभा क्षेत्रों में जाएंगे और एक से 14 दिसंबर तक दो करोड लोगों से जनसंपर्क किया जाएगा। उन्होंने बताया कि दो सो विधानसभा क्षेत्रों में 75 हजार किलोमीटर ये रथ चलेंगे और पार्टी के कार्यकर्ता जनता से जनसंपर्क करेंगे।
उन्होंने कहा कि राजनीति में चुनी हुई सरकार की स्थिरता यह बड़ा मुद्दा होता है जहां अस्थिरता होती है उससे प्रदेश के विकास को तकलीफ होती है, कांग्रेस सरकार के अस्थिरता के हालात बने हुए हैं lऐसी अस्थिरता की सरकार के कारण रोजगार को तकलीफ होती है, निवेश को होती है, कानून व्यवस्था को होती है, कांग्रेस की जो नूरा-कुश्ती है, कांग्रेस का जो अंतर्कलह है, कांग्रेस का जो विग्रह है, कांग्रेस का जो अंतर्द्वंद है, कांग्रेस आलाकमान की जो कमजोरी है, कांग्रेस में नेतृत्व का जो झगड़ा है, उन सबके के कारण राजस्थान की जनता को तकलीफ हुई है।
उन्होंने कहा कि राजस्थान में सत्ता बदलती है जन धारणा से, परसेप्शन से, वह परसेप्शन कांग्रेस के खिलाफ है और इस कारण इस बार कांग्रेस की सरकार नहीं आएगी। पूनिया ने कहा कि जनता का सरकार विरोधी रुझान चल रहा है लेकिन इसे खाली सत्ता विरोधी रुझान ही नहीं कहेंगे, यह जनाक्रोश है और इसलिए यह भाजपा का जो जन आक्रोश अभियान है, यह जनता की उन्हीं चीजों को मुखर करने के लिए किया है।
उन्होंने बताया कि सभी विधानसभाओं में प्रभारी एवं सह-प्रभारी तैनात कर दिए गए हैं, जो मंडल और बूथ स्तर तक संगठनात्मक ढांचा तय करेंगे। इस माध्यम से पांच लाख कार्यकर्ताओं की महत्वपूर्ण सक्रिय सहभागिता होने वाली है। उन्होंने कहा कि जन आक्रोश यात्रा की जरूरत क्या है, यह उत्सुकता सबमें है, जन आक्रोश यात्रा का स्वरूप क्या होगा, इसका राजस्थान की राजनिति पर प्रभाव क्या होगा, ऐसे कुछ प्रश्न मन में होते हैं।
वर्ष 1952 के बाद में जब चुनाव हुए उसके बाद राजस्थान में कांग्रेस को शासन करने का अवसर मिला लगभग 50-55 वर्षों तक। उसके बाद 90 के बाद में राजनीतिक रूप से बदलाव आया और धीरे धीरे अल्टरनेट सरकारें बनती रही, कभी भाजपा आयी कभी कांग्रेस आयी, कभी भाजपा और जनता दल और लोकदल की संयुक्त सरकारें बनी, लेकिन राजनैतिक तौर पर जब कोई सरकार लोक कल्याणकारी होने का दावा करती है तो उस सरकार का एक नैतिक कर्तव्य होता है किसी भी प्रदेश की प्रगति के जो कारक और मानक होते हैं उनको आगे विकसित करने का काम करें, लेकिन निराशा हुई।
डा पूनियां ने कहा कि राजस्थान के इतिहास में इस तरीके की नकारा, निकम्मी, अकर्मण्य, भ्रष्ट और अराजक सरकार नहीं देखी, इससे पहले भी कांग्रेस की सरकार थी। साल 2018 में कांग्रेस का जो विग्रह शुरू हुआ, जब राजभवन मेें मुख्यमंत्री की शपथ के बाद भी दो-दो मुख्यमंत्रियों के नारे लगे, उसके बाद लगातार मंत्रिमंडल के गठन को लेकर झगडा, सचिवालय में कमरे किसको कौन सा मिले इसका झगड़ा, गाड़ी किसको कैसी मिले इसका झगड़ा और अततः परिणीति यह हुई की इस विग्रह के कारण राजस्थान की जनता कोरोना का दंश झेल रही थी तो भी यह सरकार या तो भेदभाव कर रही थी या लापरवाही कर रही थी।
यह तो भला हो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जिन्होंने समय पर प्रदेशवासियों को निःशुल्क वैक्सीन उपलब्ध करवाई और एक समर्पित अभियान से राजस्थान के आठ करोड़ लोगों को वैक्सीन उपलब्ध करवाकर उनके जीवन की सुरक्षा की।