अजमेर। हर साल 16 दिसम्बर 1971 के दिन को हम विजय दिवस के रूप में मनाते हैं। वास्तव में इसकी कहानियां और संस्मरण हर देशवासी को रोमांचित और गौरवान्वित करने वाले हैं। इसी दिन भारतीय सेना के अभूतपूर्व शौर्य के सामने 93000 सशस्त्र सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था। यह बात पूर्व सैनिक परिषद् चित्तौड़ प्रान्त के अध्यक्ष कर्नल गोविन्द स्वर्णकार ने पुष्कर रोड स्थित आदर्श विद्या निकेतन विद्यालय में विजय दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि यह जीत भारत के लिए न केवल एक ऐतिहासिक जीत है बल्कि इसकी कहानियां भारत की वर्तमान और भावी पीढ़ी को विजय का विश्वास लेकर विश्व पटल पर सिर उठाकर भारत मां की जय जयकार करने की प्रेरणा देने वाली है।
इस अवसर पर पूर्व सैनिक सेवा परिषद् अजमेर के अध्यक्ष कृष्ण मुरारी मिश्रा कहा की विजय दिवस दुनिया के सामने इस बात का प्रमाण है कि भारत दुनिया का इतिहास और भूगोल बदलने का सामर्थ्य रखता है साथ ही उन्होंने इस युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों को भी स्मरण किया।
धन्यवाद ज्ञापित करते हुए विद्यालय के प्रधानाचार्य भूपेन्द्र उबाना ने कहा कि हमारे पूर्व सैनिकों ने हमें जीता हुआ भारत तैयार करके सौपा है। अमृत काल की ओर बढ़ते भारत को ओर अधिक शक्ति संपन्न करके विकसित राष्ट्रों की सूची में खड़ा करने में प्रत्येक भारतीय को अपनी भूमिका सैनिक भाव से सुनिश्चित करनी चाहिए।
कार्यक्रम के प्रारंभ में 1971 युद्ध में भाग लेने वाले भगवान सिंह, कृष्णमुरारी मिश्रा, राधेश्याम पारीख, राधेश्याम वर्मा सहित भारतीय सेना के 15 पूर्व सैनिक का सम्मान विद्या भारती संस्थान अजमेर के मंत्री जयसिंह राठौर एवं स्थानीय विद्यालय के सचिव योगेश गौड़ ने तिलक लगाकर एवं उपरना ओढाकर किया। कार्यक्रम में कक्षा 9 और 10 के विद्यार्थियों सहित विद्यालय के समस्त आचार्य सम्मिलित हुए। संचालन आचार्य पुखराज शर्मा ने किया।