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आजादी की लड़ाई में आरएसएस का कोई योगदान नहीं : नीतीश कुमार - Sabguru News
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आजादी की लड़ाई में आरएसएस का कोई योगदान नहीं : नीतीश कुमार

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आजादी की लड़ाई में आरएसएस का कोई योगदान नहीं : नीतीश कुमार

पटना। बिहार के मुख्यमंत्री ने देश के स्वतंत्रता संघर्ष में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कोई योगदान नहीं होने का उल्लेख करते हुए आज कहा कि स्वतंत्रता दिलाने में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।

कुमार ने शनिवार को यहां ज्ञान भवन में शिक्षा विभाग और विज्ञान एवं प्रोवैधिकी विभाग के नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम काे संबोधित करते हुए कहा कि आज कल दिल्ली की खबर एकतरफा छपती रहती है। केवल प्रचार-प्रसार में लोग लगे रहते हैं। आज कल मीडिया में वही लिखना पड़ता है जो उसे लिखने के लिये कहा जाता है। समाज में मीडिया का काफी बड़ा योगदान होता है। पहले मीडिया पक्ष और विपक्ष दोनों की बातों को रखता था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वह आठवीं कक्षा से ही अखबार पढ़ते हैं। उनके पिता आजादी की लड़ाई लड़े थे, उन्होंने देश की आजादी के बारे में बचपन में उन्हें बहुत सारी बातें बतायी थीं। आजादी की लड़ाई में आरएसएस का कोई योगदान नहीं है। आजादी दिलाने में बापू के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि आज कल देश में कौन सा काम हो रहा है। वर्ष 2016 में हमलोगों ने बिहार में हर घर नल का जल योजना लागू किया, उसके बाद केंद्र सरकार ने उसे लागू किया।

कुमार ने कहा कि पहले शाम के बाद लोग घर से बाहर नहीं निकलते थे। कानून व्यवस्था का हमलोग पूरा ख्याल रखते हैं। समाज में प्रेम, भाईचारा और शांति का माहौल है। सभी तरह के काम हमलोग करवा रहे हैं। बिहार सबसे पौराणिक जगह है इसलिए इसका विकास होना जरूरी है। बिहार के विकास के लिए और जो जरूरी काम है, उसे हमलोग करेंगे। उन्होंने कहा कि आप सभी की नियुक्ति हुई है, आप लोग अच्छे ढंग से पढ़ाएंगे तो बच्चों का ज्ञान बढ़ेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वह राज्य के विभिन्न जगहों पर 05 जनवरी से यात्रा पर जा रहे हैं। लोगों के बीच जाकर वह देखेंगे कि बिहार में जो काम हुआ है वो कितना प्रभावी है। लोगों की क्या समस्याएं हैं, उन्हें वह जानने का प्रयास करेंगे और उन समस्याओं को दूर करने की दिशा में अधिकारियों को निर्देश देंगे। उन्होंने कहा कि इस दौरान वह एक-एक चीज को जाकर देखेंगे। सड़क, पुल, पुलिया, भवन सभी चीजों को मेंटेन रखना है उसे भी देखेंगे। अगर गरीब-गुरबा लोगों को किसी प्रकार की परेशानी है तो उसे भी जानेंगे।

कुमार ने कहा कि आज उच्च माध्यमिक विद्यालय के 369 प्रधानाध्यापक, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों के 37 व्याख्याता, पटना विश्वविद्यालय एवं मौलाना मजहरुल हक विश्वविद्यालय के 17 सहायक प्राध्यापक एवं राजकीय अभियंत्रण महाविद्यालयों के 139 सहायक प्राध्यापकों को नियुक्ति पत्र प्रदान किया गया है। शिक्षा विभाग में बड़े पैमाने पर शिक्षकों एवं दूसरे पदों पर और बहाली होनी है। उन्हें पूरा भरोसा है कि नवनियुक्त सभी लोग अपनी जिम्मेदारियों को अच्छे ढंग से निभाएंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में बिहार लोक सेवा आयोग, बिहार कर्मचारी चयन आयोग, तकनीकी सेवा आयोग, बिहार पुलिस अवर सेवा आयोग, केंद्रीय चयन परिषद (सिपाही भर्ती), बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन कर विभिन्न पदों पर बहाली की जाती है। शिक्षा के क्षेत्र में कई काम किए गए हैं।

बिहार में 21,291 नए प्राथमिक विद्यालयों का निर्माण कराया गया है, इसके साथ ही 19,725 प्राथमिक विद्यालयों को मध्य विद्यालयों में उत्क्रमित किया गया है। दो लाख 79 हजार 801 वर्ग कक्षाओं का निर्माण कराया गया है। पुराने सरकारी स्कूल के भवनों को ठीक किया गया है। वर्ष 2022-23 में 51 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा शिक्षा के क्षेत्र में खर्च किया जा रहा है। शिक्षक ठीक से पढ़ाएंगे तो हमलोग उनका तनख्वाह भी बढ़ाते जाएंगे।

कुमार ने कहा कि पंचायत, नगर निकायों के माध्यम से शिक्षकों की बहाली की गई। उन्होंने कहा कि पहले 5वीं कक्षा के बाद लड़कियां नहीं पढ़ पाती थीं। उन्होंने पोशाक एवं साइकिल योजना की शुरुआत करायी। बिहार में किए गए इस कार्य को देखने के लिए विदेश से लोग आए। इन योजनाओं से स्कूलों में लड़कियों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई। लड़कियों के पढ़ने से बिहार में प्रजनन दर घटने लगी।

उन्होंने कहा कि सर्वे से जानकारी मिली कि पति-पत्नी में अगर पत्नी मैट्रिक पास है तो देश की औसत प्रजनन दर दो है जबकि बिहार का भी दो ही है। पत्नी यदि इंटर उत्तीर्ण है तो देश की औसत प्रजनन दर 1.7 है जबकि बिहार की 1.6 है। बिहार की प्रजनन दर अब 4.3 से घटकर 2.9 पर आ गयी है। इसे हमें 2 पर लाना है। लड़कियां पढ़ेंगी तो प्रजनन दर घटेगा। आज कल कुछ लोग जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कानून बनाने की बात करते हैं, यह ठीक नहीं है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले बिहार में काफी कम इंजीनियरिंग कॉलेज थे। पहले बिहार के लड़कों को इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिये प्रदेश से बाहर जाना पड़ता था। वह जब केंद्र सरकार में रेल मंत्री थे तो बाहर जाने पर बिहार के लड़कों से उनकी मुलाकात होती थी।

उन्होंने कहा कि उन्होंने बिहार में काफी संख्या में इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने का फैसला किया ताकि राज्य के लड़कों को इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए मजबूरी में बाहर नहीं जाना पड़े। उनके अनुरोध पर ही पटना में आईआईटी बनाया गया। बिहार में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी काम हुआ है। पहले लड़कियां इंजीनियरिंग कॉलेजों में कम पढ़ती थीं, अब बड़ी संख्या में लड़कियां इंजीनियरिंग कॉलेजों में पढ़ाई कर रही हैं।

कार्यक्रम को उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव, वित्त, वाणिज्य कर एवं संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी, शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर, विज्ञान एवं प्रावैधिकी मंत्री सुमित कुमार सिंह, मुख्य सचिव आमिर सुबहानी एवं शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने भी संबोधित किया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ, विज्ञान एवं प्रावैधिकी विभाग के सचिव लोकेश कुमार सिंह, शिक्षा विभाग के सचिव असंगवा चुवाआओ, सूचना एवं जन-संपर्क विभाग के सचिव अनुपम कुमार, माध्यमिक शिक्षा के निदेशक मनोज कुमार, पटना विश्वविद्यालय के कुलपति गिरीश कुमार चौधरी सहित अन्य अधिकारी, नियुक्ति पत्र पानेवाले अभ्यर्थी एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।