अजमेर। शहीद दिवस के अवसर पर सोमवार को शहीदों की स्मृति में मौन धारण कर शहीदों को याद किया गया। मुख्य कार्यक्रम गांधी भवन पर आयोजित हुआ। यहां महात्मा गांधी की प्रतिमा पर संभागीय आयुक्त बीएल मेहरा तथा कलक्टर अंश दीप एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने पुष्पार्पण किया।
विद्यार्थियों ने वैष्णवजन तो तेने कहिए जैसे गांधी जी के प्रिय भजनों का गायन किया। महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति के सहसंयोजक शक्ति प्रताप सिंह, महेन्द्र सिंह रलावता, विजय जैन, विपिन बैंसील, शैलेन्द्र अग्रवाल, द्रोपदी, महेश चौहान, श्याम प्रजापति, अशोक सुकरिया, नरेश सत्यावना, हेमराज खारोलिया, दिनेश शर्मा, रश्मी हिंगोरानी, सोना धनवानी, प्रदीप कच्छावा, हितेश्वरी टाक, श्री प्रकाश जैन, कोसमोेस शेखावत एवं कश्मीर सिंह सहित बडी संख्या में नागरिक उपस्थित थे।
जिले के समस्त कार्यालयों में मौन धारण कर शहीदों को श्रदांजलि अर्पित की गई। संभागीय आयुक्त कार्यालय में संभागीय आयुक्त बीएल मेहरा एवं अतिरिक्त संभागीय आयुक्त गजेन्द्र सिंह ने कार्यालय कर्मियों के साथ 2 मिनट का मौन रखा।
शहीद दिवस के अवसर पर जिला स्तरीय संगोष्ठी
शहीद दिवस के अवसर पर सोमवार को कलेक्ट्रेट सभागार में महात्मा गांधी अतीत नहीं भविष्य भी है थीम पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। महात्मा गांधी की 75वीं पुण्यतिथि पर उनकी विचारधारा पर आयोजित संगोष्ठी में गांधीवादी विचारधारा पर वक्ताओं ने अपना वक्तव्य रखा। कलेक्टर अंशदीप की अध्यक्षता में संगोष्ठी का आयोजन हुआ।
कलक्टर अंशदीप ने कहा कि आज वैश्विक अशांति का दौर चल रहा है। देश एक दूसरे पर आक्रमण कर रहे हैं। ऎसे में गांधी जी की विचारधारा और भी ज्यादा प्रासंगिक बन जाती है। गांधी जी ने नियम भी शांति से तोड़ा था। गांधी जी ने शिक्षा को किताबी ज्ञान तक सीमित ना रखकर एक ऎसी प्रणाली विकसित करने पर जोर दिया जिससे समूचे व्यक्तित्व का विकास हो। तभी देश का विकास होगा।
समाज में असमानता समाप्त करने का आह्वान किया। इससे सबके साथ सबका विकास संभव होगा। असमानता से समाज में अपराध बढ़ते हैं। सर्वोदय की परिकल्पना से सबके जीवन में सुधार लाने को आग्रह किया। गांधी जी की विचारधारा आज भी आवश्यक है एवं आने वाले समय में भी आवश्यक रहेगी। इसे निजी जीवन में अंतर्निहित करने की आवश्यकता है।
महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति के ब्लॉक समन्वयक हेमराज खारोलिया ने कहा कि कि गांधी अतीत ही नहीं भविष्य भी है। उनके विचार एवं दर्शन नई पीढ़ी के लिए आज भी प्रासंगिक है। गांधीजी विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने अपने चिंतन को पहले स्वयं परखा फिर उसकी सार्थकता को देखते हुए दुनिया के सामने रखा। वे जो सोच लेते थे उसे अवश्य पूरा करते थे।
गांधीजी ने सार्वजनिक जीवन में ट्रस्टीशिप की भावना से कार्य करने का संदेश दिया। जिसे हम सभी लोगों एवं संस्थाओं को भी सही रूप से पालन करना चाहिए। ट्रस्टीशिप के सिद्धांत से पैसे का सही उपयोग किया जाए। वहीं जरूरत के हिसाब से ही साधनों को रखा जाना चाहिए। गांधी के सिद्धांतों को अपने जीवन में डालने का प्रयास करना चाहिए।
विजयलक्ष्मी पारीक ने कहा कि गांधीजी का व्यक्तित्व बहुत विस्तृत है एवं इसको शब्दों में नहीं समेटा जा सकता तथा उनकी विचारधारा को ग्रहण करना चाहिए। गांधी जी ने जात-पात के भेदभाव को खत्म कर भारत को एक सूत्र में बांधा। इसी तरह अंग्रेजों का मानना था कि भारत में फूट है पर गांधी जी ने एक खादी से पूरे देश को जोड़ कर एकता का परचम लहराया।
गांधीजी ने अति मशीनीकरण का पूरजोर विरोध किया था क्योंकि उनका मानना था इससे नीचे तबके के लोगों की नौकरी छिन जाएगी। आने वाली पीढ़ी कर्मठ नहीं रहेगी। आज की पीढ़ी ऑनस्क्रीन पीढ़ी होकर रह गई है। आइंस्टीन ने गांधीजी के लिए कहा था कि भविष्य की पीढ़ी इस पर विश्वास नहीं करेगी कि एक हाड मास के पुतले ने बिना हथियारों के आजादी दिलवाई।
इस अवसर पर आरिफ खान, जितेंद्र चौधरी, अशोक सुकरिया, चेतन पंवार, पीयूष सुराणा, प्रदीप कच्छावा, संगीता बंजारा एवं वैभव पारीक उपस्थित रहे।