नई दिल्ली। अमरीका ने सैन फ्रांसिस्को में भारतीय महावाणिज्य दूतावास में खालिस्तानी समर्थकों की ओर से की गयी तोड़फोड़ को ‘अस्वीकार्य’ करार दिया और कहा कि कहा कि विदेश विभाग सुरक्षा सेवा इस घटना की जांच के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ काम कर रही है।
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने अपनी दैनिक ब्रीफिंग में बर्बरता से संबंधित एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि हम निश्चित रूप से इस बर्बरता की निंदा करते हैं। यह बिल्कुल ‘अस्वीकार्य’ है। विदेश मंत्रालय की राजनयिक सुरक्षा सेवा स्थानीय अधिकारियों के साथ मामले की जांच कर रही है।
प्रवक्ता ने कहा कि मैं सैन फ्रांसिस्को पुलिस के लिए नहीं बोल सकता, लेकिन मैं कह सकता हूं कि राजनयिक सुरक्षा सेवा स्थानीय अधिकारियों के साथ ठीक से जांच करने के लिए काम कर रही है। जाहिर तौर पर, स्टेट डिपार्टमेंट बुनियादी ढांचे के नजरिए से नुकसान की भरपाई के लिए काम कर रहा है। लेकिन यह अस्वीकार्य है।
व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने भी एक ट्वीट में तोड़फोड़ की निंदा की। उन्होंने कहा कि हम सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास के खिलाफ हिंसा के कृत्यों की निंदा करते हैं। हम इन सुविधाओं और उनके भीतर काम करने वाले राजनयिकों की सुरक्षा और सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। विदेश विभाग इस मामले में अगले कदम के लिए स्थानीय कानून प्रवर्तन के संपर्क में है।
भारत ने अमेरिकी राजदूतावास के प्रभारी के समक्ष सैन फ्रांसिस्को स्थित अपने महावाणिज्य दूतावास पर तोड़फोड़ की घटनाओं पर कड़ा विरोध दर्ज किया है। विदेश मंत्रालय के अनुसार अमरीकी राजदूतावास के प्रभारी अधिकारी के साथ बैठक में साफ तौर पर कहा गया कि राजनयिक प्रतिनिधित्व की सुरक्षा एवं संरक्षण अमरीकी सरकार का बुनियादी दायित्व है। यह भी कहा गया कि इस मामले में ऐसे कदम उठाए जाएं ताकि भविष्य में इस तरह की कोई घटना नहीं हो।
विदेश मंत्रालय के मुताबिक वाशिंगटन में भारतीय राजदूतावास ने अमरीकी विदेश विभाग को भारत की इन्हीं चिंताओं से अवगत कराया और अपना दायित्व निभाने को कहा। सैन फ्रांसिस्को में कल खालिस्तान समर्थक लोगों के एक उग्र समूह ने भारतीय महावाणिज्य दूतावास के भवन पर हमला किया और तोड़फोड़ की थी। बताया जाता है कि लंदन में भारतीय उच्चायोग में तोड़फोड़ करने और इमारत की पहली मंजिल से तिरंगा उतारने के मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है।
स्थानीय मीडिया ने बताया कि सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में हिंसक भीड़ को ‘खालिस्तान’ के पीले बैनर लहराते हुए दिखाया गया है और एक व्यक्ति इमारत की पहली मंजिल की बालकनी से भारतीय ध्वज को उतारता हुआ नजर आ रहा है। कुछ खालिस्तानी समर्थक समूहों द्वारा किए गए हमले में दो सुरक्षा गार्ड घायल हो गए।
विदेश मंत्रालय के एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि भारत ने अमरीकी सरकार को राजनयिक प्रतिनिधित्व की रक्षा और सुरक्षित रखने और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए उचित उपाय करने के अपने मूल दायित्व की भी याद दिलाई।
सैन फ्रांसिस्को में, भारतीय कर्मचारियों द्वारा वहां लगाए गए खालिस्तानी झंडों को हटाने के बाद, उग्र खालिस्तानी समर्थकों के एक बड़े समूह ने भारतीय वाणिज्य दूतावास की इमारत में तोड़फोड़ की। सोशल मीडिया पर देखे गए इस घटना के वीडियो के अनुसार उन्होंने दीवारों पर भारतीय विरोधी भित्तिचित्र चित्रित किए और दरवाजे और खिड़कियां तोड़ने की भी कोशिश की।
घटना के एक दिन बाद खालिस्तानी बदमाशों ने लंदन में भारतीय उच्चायोग में तोड़फोड़ की और भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को हटा दिया और उसके स्थान पर अपने खालिस्तानी झंडे को लगाने का प्रयास किया। भारत ने इस मामले में ब्रिटेन को अपना कड़ा विरोध जताया है।
उल्लेखनीय है कि भारत के पंजाब में खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस कार्रवाई के बीच खालिस्तानी समर्थकों द्वारा तोड़फोड़ की गई। पुलिस के मुताबिक अमृतपाल फरार है जबकि उसके परिजनों एवं समर्थकों ने पुलिस पर उसे अपने हिरासत में रखने का आरोप लगाया है।