नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि बिलकिस बानो की उस याचिका पर सुनवाई के लिए वह एक नई पीठ का गठन करेगा, जिसमें सामूहिक बलात्कार के 11 दोषियों की रिहाई या समय से पहले रिहाई को चुनौती दी गई है।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चद्रचूड़, न्यायमूर्ति की अध्यक्षता वाली पीठ ने बिलकिस की अधिवक्ता शोभा गुप्ता की शीघ्र सुनवाई की गुहार पर सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि वह इस मामले में एक नई पीठ का गठन करेगी। अधिवक्ता ने विशेष उल्लेख के दौरान इस मामले को उठाया था और शीघ्र सुनवाई की गुहार लगाई थी।
अधिवक्ता ने पीठ के समक्ष कहा कि विशेष उल्लेख के दौरान इस मामले को उठाया गया था, लेकिन सुनवाई शुरू नहीं हो पाई। बिलकिस बानो ने सामूहिक बलात्कार के 11 दोषियों की रिहाई या समय से पहले रिहाई को शीर्ष अदालत में चुनौती देते हुए एक रिट याचिका दायर की थी।
शीर्ष अदालत की ओर से एक बार एक विशेष पीठ गठित की गई थी, लेकिन न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी ने यह कहते हुए अपने आप को पीठ अलग कर लिया था कि वह वर्ष 2004-06 के दौरान गुजरात सरकार की डिप्टी सेक्रेट्री नियुक्त की गई थीं।
गुजरात सरकार ने उम्रकैद की सजा काट रहे 11 दोषियों को 15 अगस्त को रिहा कर दिया था। सरकार ने सभी 11 आजीवन कारावास की सजा पाए दोषियों को 2008 में उनकी सजा के समय गुजरात में प्रचलित छूट नीति के तहत रिहा किया था।
गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया गया था और उसकी तीन साल की बेटी सहित उसके परिवार के 14 सदस्यों के साथ मरने के लिए छोड़ दिया गया था। वडोदरा में जब दंगाइयों ने बिलकिस बानो के परिवार पर हमला किया तब वह पांच महीने की गर्भवती थीं।
शीर्ष अदालत ने 13 दिसंबर को बिलकिस की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी। सर्वोच्च अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि हमारी राय में 13 मई 2022 के फैसले में कोई त्रुटि दिखाई नहीं देती, जिसके चलते समीक्षा की जा सके।