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महिलाओं में गर्भनिरोधक का उपयोग दो वर्ष में 53 से बढ़कर 56 प्रतिशत हुआ - Sabguru News
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महिलाओं में गर्भनिरोधक का उपयोग दो वर्ष में 53 से बढ़कर 56 प्रतिशत हुआ

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महिलाओं में गर्भनिरोधक का उपयोग दो वर्ष में 53 से बढ़कर 56 प्रतिशत हुआ

जयपुर। महिलाओं में गर्भनिरोधक का उपयोग वर्ष 2020 में 53 प्रतिशत से वर्ष 2022 में बढ़कर 56 प्रतिशत हो गया है। परिवार नियोजन एवं अन्य प्रमुख स्वास्थ्य संकेतकों के प्रोजेक्ट- परफॉर्मेंस मॉनिटरिंग फॉर एक्शन (पीएमए) इंडिया की ओर से वर्ष 2022 के सर्वेक्षण के परिणाम बुधवार को एक कार्यशाला में जारी किए गए।

पीएमए इंडिया के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगर व आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. अनूप खन्ना ने इस सर्वे के कुछ प्रमुख निष्कर्षों को प्रस्तुत करते हुए बताया कि सर्वे में शामिल महिलाओं में गर्भनिरोधक का उपयोग वर्ष 2020 में 53 था जो 2022 में बढ़कर 56 प्रतिशत हो गया है।

दीर्घकालीन विधियों को अपनाने वाली महिलाओं में प्रत्येक वर्ष 2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि अविवाहित और विवाहित महिलाओं, दोनों के लिए आधुनिक गर्भनिरोधक तरीकों का उपयोग करने वाली महिलाओं का प्रतिशत समय के साथ बढ़ा है, जबकि गर्भनिरोधक की पूरी न की गई आवश्यकता में कमी आई है।

गत कुछ वर्षों में सार्वजनिक सुविधा वाले स्थानों पर इंजेक्शन, पुरुषों के कंडोम और गोलियों की उपलब्धता बढ़ी है। सर्वेक्षण में यह भी पता चला कि हर चार में से एक महिला को उसके पार्टनर द्वारा अन्य गर्भनिरोधक विधियों की जानकारी दी गई थी और महिला के पास दूसरा तरीका अपनाने का विकल्प भी था। लगभग 48 प्रतिशत महिलाओं को उनके पार्टनर द्वारा गर्भनिरोधक विधि के इस्तेमाल से होने वाले दुष्प्रभावों या समस्याओं की भी जानकारी दी गई थी।

सर्वे के अनुसार गर्भ निरोधकों के उपयोग नहीं किए जाने में भी कमी आई है। वर्ष 2020 में 47 प्रतिशत का यह आंकड़ा 2022 में कम होकर 44 प्रतिशत हुआ है। अधिकांश किशोरों (15 से 19 वर्ष आयु के) ने 2021 व 2022 के बीच इनका उपयोग नहीं किया। 20 से 24 वर्ष की आयु वर्ग की 60 प्रतिशत महिलाओं ने 2021 और 2022 के बीच इनका उपयोग नहीं करना जारी रखा।

पीएमए इंडिया प्रोजेक्ट के तहत राजस्थान में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हैल्थ मैनेजमेंट रिसर्च (आईआईएचएमआर) के नेतृत्व में डेटा एकत्र किया गया है। पीएमए के नौ कार्यक्रम देशों में इथियोपिया, केन्या, बुर्किना फासो, नाइजीरिया, नाइजर, युगांडा और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के साथ भारत भी शामिल है।

आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी द्वारा झपीगो और जॉन्स हॉपकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के बिल एंड मेलिंडा गेट्स इंस्टीट्यूट फॉर पॉपुलेशन एंड रिप्रोडक्टिव हेल्थ के सहयोग से तथा राजस्थान सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की मदद से इस प्रोजेक्ट को कार्यान्वित किया जाता है। बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा इस प्रोजेक्ट को फंडिंग की जाती है।

राजस्थान में पीएमए इंडिया प्रोजेक्ट को आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी द्वारा लागू किया जाता है। राजस्थान सरकार के चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के आरसीएच के निदेशक डॉ. राजेंद्र प्रसाद दोरिया द्वारा कार्यशाला की अध्यक्षता की।

इस अवसर पर राजस्थान सरकार के परिवार कल्याण के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. गिरीश द्विवेदी, आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के प्रेसीडेंट डॉ. पी आर सोडानी और पीएमए इंडिया के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगर व आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. अनूप खन्ना भी उपस्थित थे। वर्कशॉप में देशभर के विकास भागीदारों व कार्यान्वयन कर्ताओं के प्रतिनिधियों के साथ कई शोधकर्ता शामिल हुए।

इस अवसर पर राजस्थान सरकार के चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के आरसीएच के निदेशक डॉ. राजेंद्र प्रसाद दोरिया ने कहा कि पीएमए परियोजना ने डेटा, निगरानी और मूल्यांकन की गुणवत्ता में सुधार करके हमारी स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों को काफी मजबूत किया है। इसने हमें समय पर और सूचित निर्णय लेने, स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रमों की समीक्षा करने और हमारे स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में कमियों की पहचान करने में सक्षम बनाया है।

पीएमए डेटा के उपयोग से, हम अपने स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रमों की प्रगति की निगरानी करने और उन क्षेत्रों की पहचान करने में सक्षम हुए हैं जहां हमें अपने प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, जिससे हमारे नागरिकों की स्वास्थ्य स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। हमने मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम किया है और परिवार नियोजन के तरीकों के उपयोग में वृद्धि की है।

डॉ. द्विवेदी ने कहा कि आज जारी किया गया डेटा सरकार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह हमारी नीतियों और कार्यक्रमों को प्रभावित करेगा और डेटा आधारित निर्णय लेने में हमारी मदद करेगा। पीएमए फैमिली प्लानिंग 2020 अपनाने वाले नौ देशों में परिवार नियोजन और अन्य स्वास्थ्य संकेतकों का अनुमान लगाने के लिए चयनित साइटों के घरों से और महिलाओं से प्रति वर्ष डेटा का राष्ट्रीय या उप-राष्ट्रीय स्तरपर डेटा एकत्र किया जाता है।

आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के प्रेसीडेंट डॉ. पीआर सोडानी ने कहा कि ‘पीएमए प्रोजेक्ट सबसे पहले जेएचयू और झपीगो द्वारा शुरू किया गया था और भारत में आईआईएचएमआर द्वारा इस प्रोजेक्ट का नेतृत्व किया जा रहा है। यह विभिन्न देशों में किया जाने वाला अध्ययन है, जिससे आगे के कदम उठाने योग्य आंकड़े मिलते हैं। मैं इस प्रोजेक्ट को निरंतर समर्थन प्रदान करने के लिए राजस्थान सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं, जिनके समर्थन की वजह से इसे हम राजस्थान में सफलतापूर्वक लागू कर सके हैं।