सबगुरु न्यूज़ सिरोही। सिरोही और मेवाड़ रियासत में दो अलग-अलग राजवंशों की रियासतें थी। कुंभा के समय इन लोगों में विवाद भी देखे गए।
एक दूसरे की जमीन पर कब्जा करने का संघर्ष भी देखा गया। लेकिन, कभी भी मेवाड़ पूरी तरह से सिरोही को अपने कब्जे में नहीं ले सका। जो काम मेवाड़ का सिसोदिया राजवंश नहीं कर पाया, वह रविवार रात को कुमार विश्वास और उनके साथ आए कवि करते रहे। मारवाड़ – गोडवाड क्षेत्र में शामिल राजस्थान के सिरोही जिले को बार-बार मेवाड़ मेवाड़ पुकारते रहे।बाद में जब सिरोही के पूर्व राजघराने के वंशज रघुवीरसिंह देवड़ा को बोलने का मौका मिला तो उन्होंने भी सिरोही को मेवाड़ बोलने पर चुटकी ले दी।
– कविता से ज्यादा स्टैंड अप कॉमेडी
कुमार विश्वास के साथ यहां कुल 5 कवि आए थे। शेष चार कवि क्योंकि पहली बार आए थे इसलिए उनकी सुनाई कविताएं कुछ नई दिखीं। लेकिन, कुमार विश्वास के 2 घंटे के काव्य पाठ में करीब डेढ़ घंटा स्टैंड अप कॉमेडी चली। इसमें कुछ भी ऐसा नहीं था जो पिछले वर्ष शिवगंज उससे पहले माउंट आबू और फिर आबूरोड में नहीं सुना गया। वही बाबा रामदेव का व्यवसाय, वही गहलोत पायलट का विवाद, वही केजरीवाल से उनकी अनबन इन्हीं सब चीजों पर सटायर होते रहे।
दो जो कविताएं सुनाई वह भी शिवगंज, माउंट आबू और आबूरोड में सुनाई जा चुकी थी। हां, कृष्ण के मनः स्थिति को लेकर एक नई कविता को उन्होंने जरूर प्रस्तुत किया जिसे लोगों ने भरपूर सराहा। कुल मिलाकर 2 घंटे का सिरोही में जो कुमार विश्वास का काव्य पाठ था उसमें से 80 परसेंट कंटेंट आबू रोड, माउंट आबू और शिवगंज के मंच पर सुनाए गए। उनकी मंच उपस्थिति पुराने कंटेंट से भरी हुई थी, बस मंच के रूप में एक पैकेजिंग नई थी।
शायद इसीलिए काव्य पाठ शुरू होते ही शैलेश लोढ़ा के बाद कुमार विश्वास भी बच्चों को और आम लोगों को मोबाइल रिकॉर्डिंग करने से रोकते रहे। ताकि फिर कभी इन्हें उन्हें सुनने का मौका मिले तो पुरानी रिकॉर्डिंग से देखकर यह ना कह सके कि यह नए पैकेट में पुराना माल बेच रहे हैं। कोई दीवाना कहता कोई पागल समझता है कि भी वही पेरा सुनाए जो शिवगंज में एक साल पहले और माउंट आबू में डेढ़ साल पहले सुनाए थे।
गत वर्ष शिवगंज में काव्य पाठ के दौरान ‘सेना के शौर्य पर’ लिखी अपनी नई कविता सुनाने से पहले वो टिप्प्णी कर गए थे कि मिडिया वाले लिखते रहते हैं कि कुछ नया नहीं सुनाया। वहां भी एक नई कविता सुनाई थी, यहां भी। लेकिन, उनकी सिरोही में कृष्ण के कृष्ण बनने की मनःस्थिति पर सुनाई गई नई कविता ‘ मथुरा छूटी, छूटी द्वारिका इंद्रप्रस्थ ठुकराऊं’ को लोगों ने सराहा। संयम लोढ़ा के अनुरोध पर ‘ राजा अंधा हो जाए तो, सेवा धंधा हो जाए तो’ कविता यहां भी सुनाई। उनके साथ आए रमेश मुस्कान, अर्जुन सिसोदिया, सपना सोनी और कुशाल कुशवाहा ने भी काव्य पाठ किया। जिला प्रशासन की तरफ से सिरोही मूल के कमल रांका भी उनके साथ मंच साझा किया।
– सम्पन्न हुआ सिरोही महोत्सव
तीन दिवसीय सिरोही महोत्सव रविवार को कवि सम्मेलन के साथ सम्पन्न हुआ। इससे पहले दिनभर अरविंद पेवेलियन में विभिन्न। प्रतियोगिताएं होती रहीं। जिला कलेक्टर डॉ भंवरलाल, सीईओ टी सुमंगला, हंसमुख कुमार के साथ धूप में प्रतिभागियों के साथ डटे रहे। उन्हे स्मृति चिन्ह भेंट किए। शाम को नेहरू पेवेलियन में कवि सम्मेलन से पहले मिस्टर और मिस सिरोही के साथ बेस्ट कपल प्रतियोगिता हुई। शाम को कवि सम्मेलन के दौरान आए सिरोही के पूर्व राजवंश के वंशज रघुवीर सिंह देवड़ा ने सिरोही विधायक और जिला प्रशासन का सिरोही महोत्सव आयोजन के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष सिरोही राजमहल को रिनोवेट करवाने के बाद इसे सिरोही महोत्सव के दौरान खोला जाएगा।
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