भरतपुर। राजस्थान में 12 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर आगरा-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग भरतपुर में माली, सैनी, शाक्य, मौर्य, कुशवाह, काछी समाज का आंदोलन आज 10वें दिन भी जारी रहने से इस मार्ग पर यातायात व्यवस्था बहाल नही हो सकी।
आरक्षण की मांग को लेकर पिछले दिनों धरनास्थल के समीप पेड़ पर फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या करने बाले आंदोलनकारी मोहन सिंह के शव का शनिवार की अर्धरात्रि को पुलिस एवं प्रशासन द्वारा परिजनों पर दबाब डालकर गुपचुप तरीक़े से गांव में अंतिम संस्कार करा देने के बाद भी बड़ी संख्या में महिला एवं पुरुष आंदोलनकारी नेशनल हाईवे-21 पर जमे हुए हैं।
आंदोलनकारियों का कहना है कि 1 मई को ओबीसी आयोग से चर्चा के बाद ही बे हाईवे खाली करने पर विचार करेंगे। आत्महत्या करने बाले आंदोलनकारी के शव के आननफानन में गुपचुप तरीके से अर्धरात्रि के बाद अंतिम संस्कार कराए जाने के मामले में भी समाज तथा फुले आरक्षण संघर्ष समिति ने जिला पुलिस एवं प्रशासन की कड़े शव्दों में निंदा की है और कहा है कि प्रशासन ने अंतिम संस्कार के लिए हिन्दू परम्पराओं का उलंघन कर मृतक की आत्माओं को ठेस पहुंचाने के साथ उसके परिजनों को गहरा आघात पहुचाया है।
इस बीच आंदोलनकारी जयपुर आगरा नेशनल हाईवे-21 को काफी नुकसान पहुंचा चुके हैं। हाईवे के करीब 1 किलोमीटर क्षेत्र में डिवाइडर को तोड़ने के साथ उसके बीच में लगे पेड़ पौधों को उखाड़ दिया गया है। हाईवे पर मिट्टी की मोटी परत जम जाने से यह गांव की कच्ची सड़क सा नजर आ रहा है।
फुले आरक्षण संघर्ष समिति के सदस्य बदन सिंह कुशवाह का कहना है कि सैनी समाज में ही कुछ लोग ऐसे हैं जो चाहते हैं कि हाईवे खाली हो। ये लोग प्रशासन के एजेंट एवं समाज के निंदक एवं कलंक हैं। वे प्रशासन को भ्रमित कर रहे हैं। उन्होंने ही प्रशासन से कहा था कि आंदोलनकारी मोहन सिंह के शव को आंदोलन स्थल अरोदा लेकर जाएंगे। ऐसे लोगों की जानकारी जुटाई जा रही हैं।