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Sirohi MLA cut the ribbon and forgot, now patients are upset - Sabguru News
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सिरोही विधायक ने फीता काटा और भूल गए, अब मरीज परेशान

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सिरोही विधायक ने फीता काटा और भूल गए, अब मरीज परेशान
सिरोही चिकित्सालय में बंद पड़ी सिरोही विधायक द्वारा उद्घाटित प्याऊ।
सिरोही चिकित्सालय में बंद पड़ी सिरोही विधायक द्वारा उद्घाटित प्याऊ।

सबगुरु न्यूज-सिरोही। सोशल मीडिया पर सिरोही विधायक संयम लोढ़ा के द्वारा उनके कार्यकाल में शिलान्यास और लोकार्पित करवाये गए काम की सूची फिर से वायरल्ड है।

लेकिन, इस सूची में वो काम नहीं हैं जिनके फीते सिरोही विधायक संयम लोढ़ा ने काटे और फीते काटने के बाद उनसे फीता कटवाने वाले उस जगह पर अपना नाम चिपका कर उस काम को भूल गए और नाम चिपकाने की इजाजत देने वाले बेभान होकर सो गए। ऐसा ही काम है सिरोही जिला चिकित्सालय में महिला चिकित्सालय विंग की तरफ बनवाई गई पानी की प्याऊ का।
– साथ-साथ काटा था फीता
महिला चिकित्सालय परिसर में पूरी गर्मी में इलाज के लिए आने वाले लोगों को पानी के लिए तरसना पड़ा। यहाँ दो प्याऊ हैं। दानदाताओं के द्वारा बनाई हुई। एक पूरी बाई पुनमा जी माली चेरिटेबल ट्रस्ट की प्रेरणा से गैरी बाई और सीता देवी की स्मृति में बनी नव निर्मित महावीर जल मंदिर। दूसरी महवीर इंटरनेशनल की तरफ से बनाई प्याऊ।

शिलालेख बता रहा हैं कि पहली वाली का उद्घाटन सिरोही विधायक संयम लोढ़ा और ट्रस्ट के अध्यक्ष रघुनाथ माली ने किया था। जमीन चिकित्सालय की है तो स्वाभाविक है कि शिलालेख लगाने के लिए तो प्रशासन ने ये प्याउ बनवाई नहीं होगी। इसका संचालन भी करना होगा। अब इसका संचालन न तो चिकित्सालय प्रशासन करवा रहे है और न ही रघुनाथ माली की ट्रस्ट से प्रेरित हुए दानदाता। एक तरफ के तो नल भी गायब हैं। इस परिसर में आने वाले ओपीडी पेशंट को पानी पीने के लिए भटकना पड़ता है।

सिरोही चिकित्सालय में महिला परिसर में गंदगी के ढेर में तब्दील हो चुकी महावीर इंटरनेशनल द्वारा बनवाई गई प्याऊ।

दूसरी प्याऊ शौचालय में तब्दील
महावीर इंटरनेशनल की तरफ से बनवाई ये प्याऊ शौचालय में तब्दील हो चुकी है। इसके चारों तरफ सिर्फ गंदगी व्याप्त है। यहां लगे शिलालेख के अनुसार ये 1988 में मालगांव के दानदाता ने बनवाई थी। सालों से इसका भी संचालन नहीं हो रहा। लोगों को पानी को तरसते देख कुछ लोगों ने इस परिसर में लोगों के पीने के लिए केन की व्यवस्था तो करवा दी है। लेकिन, इनडोर पेशेंट और दूसरे लोगों को इस परिसर में शाम को पीने के पानी की व्यवस्था करने में दिक्कत आती है।

इतने बड़े बड़े ढांचे दानदाताओं के नाम प्रचारित करने के लिए लगाने का औचित्य समझ से परे है। यदि इनका संचालन दानदाताओं के द्वारा किया जाना था तो चिकित्सालय प्रशासन उन्हें इसके लिए पाबंद करे और चिकित्सालय प्रशासन को करना था तो वो इसे संचालित करे ताकि इनका उद्देश्य सफल तो होवे।