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CM said the gap between poor and rich has to be reduced, officers are kind to big hotels in Mt Abu - Sabguru News
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CM बोले कम करनी है गरीब-अमीर की खाई, माउंट में अधिकारी बड़ी होटलों पर मेहरबान

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CM बोले कम करनी है गरीब-अमीर की खाई, माउंट में अधिकारी बड़ी होटलों पर मेहरबान
माउंट आबू में डंपर भरकर आती निर्माण सामग्री।
माउंट आबू में डंपर भरकर आती निर्माण सामग्री।
माउंट आबू में डंपर भरकर आती निर्माण सामग्री।

सिरोही। जालोर में पत्रकार वार्ता में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बोले रहे कि राहुल गांधी और कांग्रेस के 4 उद्देश्य हैं। इनमे गरीब अमीर के बीच की खाई मिटाने के लिए सबको समान अवसर देना मुख्य है।

उनके दावों के विपरीत माउंट आबू में उपखंड अधिकारी भवन निर्माण और मरम्मत में एकाधिकार करके किस तरह से अमीर को अमीर और गरीब को गरीब बनाने में लगे हैं। राहुल गांधी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भले ही समतामूलक और विकास के समान अवसर वाली व्यवस्था की बात करते हुए अडानी के एकाधिकार पर भाषण देते हों, लेकिन माउंट आबू लिम्बड़ी कोठी ही नहीं ऐसे कई उदाहरण मिल जाएंगे जिसमें वहां के उपखंड अधिकारियो और आयुक्तों ने छोटे छोटे दुकानदारों, होटल व्यवसायी और मकान मालिकों की बजाय बड़ी होटलों वालों के लिए नियम विरूद्ध अवसर और मौके खोले हैं।

टॉयलेट शीट-टाइल्स पर रोक, हजारों स्क्वायर फीट मार्बल अनुमत

गहलोत शासन के उपखंड अधिकरियों ने माउंट आबू के सामान्य व्यवसायी और घरेलू लोगों के भवनों के क्षतिग्रस्त हो चुके टॉयलेट्स की टॉयलेट शीट को बदलने में पाबंदी लगा रखी है। टॉयलेट में टाइल्स तक नहीं लगा सकते हैं। लेकिन बड़ी होटलों के लिए धड़ल्ले से हजारों स्क्वायर फीट मार्बल और निर्माण सामग्री मरम्मत के नाम पर जारी करने में कोई गुरेज नहीं है।

यहां पर आम आबूवासी और बड़े होटल वालों के लिए उपखंड अधिकारी कार्यालय से दो नियम चलते हैं। ये भी तय है कि ये सब निस्वार्थ सेवा और समाजसेवा के भाव से तो होता नहीं होगा। जबकि ईको सेंसिटिव जोन के संबंध में जानकारी रखने वाले आईएफएस स्तर  के अधिकारीयों का कहना है कि ईएसजेड में तो इंटर्नल मरम्मत और सुधार के लिए किसी तरह की पाबन्दी भी नहीं है। न ही इससे पर्यावरण को कोई हानि होनी है।

इन्हें दी अकूत निर्माण सामग्री

जब उपखंड अधिकारी गौरव सैनी और नगर पालिका बोर्ड के बीच विवाद चला था उस समय एक शिकायत सामने आई थी। इसमें एक जिक्र दिया था कि वह यह कि एक अधिकारी ने अपने मित्र की नई की नई होटल बनवा दी। ऐसे एक नहीं कई मामले हुए हैं। जिनमें ऐसी शिकायतें गई हैं। एक शिकायत तो ऐसी भी सामने आई है, जिसमें होटल के रूप में मान्य नहीं होने के बावजूद नए फ्लोर बनने के लिए निर्माण सामग्री जारी हो गई।

चार बड़ी होटलों को बेतहाशा निर्माण सामग्री जारी करने का मामला भी ज्यादा पुराना नहीं है। आबू-देलवाड़ा मार्ग स्थित एक, बस स्टैंड-ढूंढाई मोड़ के बीच स्थित दो और नक्की के निकट एक और बड़ी होटल को बेहिसाब निर्माण सामग्री जारी की गई है। चर्चा ये है कि अधिकारियों के निजी मेहमानों को ठहराने वाले कुछ होटल्स को तो नियमित निर्माण सामग्री के टोकन जारी हो रहे हैं। जबकि छोटे व्यवसायी और आम आदमी मुख्यमंत्री के सामने एक कट्टा बजरी की अनुमति दिलवाने की गुहार लगा रहा है।

लिफ्ट नया निर्माण, तो अनुमति कैसे?

अभी ये बात भी सामने आई है कि दो होटलों को लिफ्ट लगाने की अनुमति दी है। लिफ्ट नया निर्माण है। तो राज्यपाल के माउंट आबू प्रवास के दौरान एक शिकायत पर उपखंड अधिकारी और नगर पालिका माउंट आबू का जवाब था कि ये हाईकोर्ट और एनजीटी के आदेशानुसार नए निर्माण की रोक है। ऐसे में लिफ्ट का निर्माण की अनुमति देना भी उस रोक के दायरे में ही आता है।

जर्जर व्यावसायिक और आवासीय भवनों को पुनर्निर्माण की अनुमति नहीं मिल रही है। लेकिन, बड़े होटलों के नए निर्माण जारी हैं। आबू-देलवाड़ा मार्ग और बस स्टैंड-ढूंढाई मोड़ के बीच स्थित होटलों को लिफ्ट लगाने की अनुमति मॉनिटरिंग कमिटी में प्रस्ताव पारित हुए बिना दिया गया है तो ये पूर्णतया सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी की उसी अवमानना की श्रेणी में आता है जिसकी दलील माउंट आबू के उपखंड अधिकारी और आयुक्त छोटे व्यवसाई और माउंट आबू के स्थानीय निवासियों को नजरंदाज करने के लिए देते रहते हैं।

वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर की जगह बन गया स्विमिंग पूल!

यूं तो उपखंड अधिकारी और नगर पालिका आयुक्त राज्यपाल और मुख्यमंत्री के सामने जो दलील दिए हैं उससे हर तरह का नया निर्माण करने में हाइकोर्ट और एनजीटी की रोक है। फिर वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर की अनुमति भी नए निर्माण में है।

जानकारी ये सामने आई है कि एक बड़े होटल में तो वाटर हार्वेस्टिंग ढांचे के नाम पर इतनी निर्माण सामग्री जारी कर दी गई कि उसने स्विमिंग पूल बना दिया। जबकि सुप्रीम कोर्ट की ईको सेंसेटिव जोन की गाइडलाइंस के अनुसार ये काम भी मोनिटरिंग कमिटी की अनुमति के बिना नहीं हो सकता।