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Mount Abu: People upset due to misinterpretation of HC order, Chief Justice gave this order - Sabguru News
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माउंट आबू: HC के आदेश की गलत व्याख्या से लोग थे परेशान, मुख्य न्यायाधीश ने दिया ये आदेश

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माउंट आबू: HC के आदेश की गलत व्याख्या से लोग थे परेशान,  मुख्य न्यायाधीश ने दिया ये आदेश
अनुमति होने के बावजूद माउंट आबू उपखण्ड अधिकारी द्वारा निर्माण सामग्री जारी नहीं करने के कारण गिरी सीलिंग का प्लास्टर।
अनुमति होने के बावजूद माउंट आबू उपखण्ड अधिकारी द्वारा निर्माण सामग्री जारी नहीं करने के कारण गिरी सीलिंग का प्लास्टर।

परीक्षित मिश्रा
माउंट आबू (सिरोही)। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आबूरोड प्रवास के दौरान माउंट आबू के लोग अपनी निर्माण मरम्मत की समस्या के लिए मिले थे। उस दौरान मुख्यमंत्री सलाहकार संयम लोढ़ा ने कहा था कि माउंट आबू में अधिकारी अपना एकाधिकार समाप्त नहीं करने को लेकर वहां का काम अटका रहे हैं। राजस्थान हाईकोर्ट ने भी ये माना कि उनके आदेश की गलत व्याख्या और गलत प्रस्तुतीकरण किया गया है।

जिले और माउंट आबू के अधिकारी मोनिटरिंग कमिटी को लेकर 24 जनवरी 2023 के हाइकोर्ट के आदेश की ये व्याख्या कर रहे थे कि राजस्थान हाइकोर्ट ने माउंट आबू की मॉनिटरिंग कमिटी की 14 दिसम्बर 2023 की बैठक की प्रोसिडिंग और उसकी पालना पर रोक लगा दी है। राज्य के लीगल एडवाइज़र की राय का हवाला देते हुए मोनिटरिंग कमिटी के सचिव द्वारा अध्यक्ष के आह्वान के बाद भी बैठक नहीं आहूत हो रही थी और न ही उस बैठक में लिए गए निर्णयों की पालना हो रही थी।

इसी को लेकर राज्य सरकार के एडिशनल एडवोकेट जनरल संदीप शाह ने हाईकोर्ट से अपने आदेश को स्पष्ट करने का अनुरोध किया। इस पर मुख्य न्यायाधीश ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह और न्यायाधीश विनीत कुमार की खंडपीठ ने माना कि 24 जनवरी 2023 के आदेश को गलत तरीके से पढ़ा और व्याख्यायित किया जा रहा है। खंडपीठ ने कहा कि ऑर्डर को इस रूप में लिया जा रहा है की बैठक बुलाने पर कोर्ट की रोक है। इससे बैठक नहीं हो रही है।

बैठक बुला कर NGT के आदेश पर ज़ोनल मास्टर प्लान फाइनल करना, नोटिफिकेशन की बराबर पालना हो वो देखना, आम जन को रिपेयर आदि स्वीकृति जल्द मिले, पर्यावरण हित के फ़ैसले करने जैसे कई मामलो को देखना है जो नहीं हो पा रहे है।

इस पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस की बेंच ने आदेश दिया की बैठक बुलाने, उस में फ़ैसले लेने, उनकी क्रियान्विति कर अमल में लाने पर कोई रोक नहीं है। जो भी फ़ैसला करना है वो मुख्य रीट का अन्तिम फ़ैसला करेंगे जब होगा।

अब मिल सकेगी राहत

राज्य सरकार के हस्तक्षेप से राजस्थान हाइकोर्ट के आदेश की पुनर्व्याख्या करवा लेने से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के द्वारा बामनवाड़ जी में 2019 में उठाए गए कदम की पालना हो सकेगी। विधानसभा चुनावों से पहले राज्य सरकार माउंट आबू के लोगों को चार दशकों से रुकी राहत को दे पाएगी।

उल्लेखनीय है कि मंजू गुरबानी ने राजस्थान हाइकोर्ट में मॉनिटरिंग कमिटी के फॉर्मेशन को चैलेंज किया था। बाद में मोनिटरिंग कमिटी की बैठक हो गई तो उसमें माउंट आबू को राहत देने के लिए भी वो निर्णयों पर रोक के लिए भी वो हाइकोर्ट गईं। उसके बाद दिए सप्लीमेंट्री निर्णय को गलत ढंग से व्याख्यायित करने के कारण लोगों को राहत नहीं मिल पाई।

मुख्य न्यायाधीश के द्वारा अपने आदेश की स्पष्ट व्याख्या कर देने के बाद 14 दिसम्बर 2022 की बैठक में लिए गए निर्णयों की पालना हो सकेगी। मॉनिटेरिंग कमेटी पूर्व में बैठक में हुए फ़ैसले के अनुसार टोकन की सरलता व समय पर बिना परेशानी मिले, जर्जर भवन को अनुमति, पतरे बदलने, पतरो की जगह छत डालनी, निर्माण सामग्री स्थानीय वेंडर से यही मिल जाये ऐसे जनहित के फ़ैसले अमल में ला सकती है। बैठक होने से आमजन को परेशान नहीं होना पड़े उसका मार्ग खुला है।