नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने छत्तीसगढ़ में 2000 करोड रुपए के कथित शराब घोटाले की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच पर मंगलवार को अंतरिम रोक लगा दी। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद ईडी जांच पर रोक लगाने वाला अंतरिम आदेश पारित किया।
छत्तीसगढ़ सरकार ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए अप्रैल 2023 में शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। राज्य सरकार की याचिका में आरोप लगाते हुए कहा गया है कि केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कथित तौर पर केंद्र की सत्ता में बैठे ‘लोगों’ के द्वारा अपने विपक्षी राज्य सरकार को डराने, परेशान करने और सामान्य कामकाज में गड़बड़ी करने के लिए किया जा रहा है।
शीर्ष अदालत के समक्ष मंगलवार 18 जुलाई को छत्तीसगढ़ सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अधिवक्ता सुमीर सोढ़ी ने सुनवाई के दौरान कहा कि ईडी राज्य के अधिकारियों को परेशान कर रही है। उन्हें अब अपनी संपत्तियों का खुलासा करने के लिए नोटिस मिला है ताकि उसे कुर्क किया जा सके। यह चौंकाने वाला तरीका है कि ईडी आगे बढ़ रही है।
राज्य सरकार ने दावा किया था कि केंद्रीय एजेंसी कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुख्यमंत्री को फंसाने का प्रयास कर रही थी। शीर्ष अदालत ने छत्तीसगढ़ सरकार के आरोपों के बाद इस साल मई में ईडी से कहा था कि वह डर का माहौल पैदा न करे। सिब्बल ने तब दलील दी थी कि ईडी मनमानी कर रही है। इस केंद्रीय जांच एजेंसी के अधिकारी उत्पाद शुल्क अधिकारियों को धमकी दे रहे हैं।
उन्होंने दावा किया कि ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि राज्य में आने वाले महीनों में चुनाव होने वाले हैं। ईडी का का पक्ष रख रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने सिब्बल की दलीलों का जोरदार विरोध किया। राजू ने कहा था कि केंद्रीय जांच एजेंसी राज्य में एक घोटाले की जांच कर रही है।