बेंगलूरु। कर्नाटक सरकार ने 545 पुलिस उप-निरीक्षकों (पीएसआई) की भर्ती में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं के आरोपों की जांच के लिए उच्च न्यायालय के न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) बी वीरप्पा के तहत एक न्यायिक आयोग नियुक्त किया है।
जांच आयोग गठित करने के आदेश में गृह विभाग ने न्यायमूर्ति वीरप्पा से जांच पूरी करने और तीन महीने में सरकार को रिपोर्ट सौंपने को कहा है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने शनिवार को पीएसआई घोटाले की न्यायिक जांच को सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार की नफरत की राजनीति करार दिया और आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता भी इसमें शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने पीएसआई घोटाले का खुलासा किया था और अपराध जांच विभाग (सीआईडी) जांच के आदेश दिए थे। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि एडीजीपी रैंक के एक अधिकारी को जेल भेज दिया गया है। जांच पूरी हो चुकी है और मामला अदालत में है। इस स्तर पर न्यायिक जांच का आदेश देना नफरत की राजनीति को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि इस घोटाले में कांग्रेस नेता भी शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि यह घोटाला पिछले साल तब सामने आया जब भाजपा सरकार ने परीक्षा परिणामों में हेरफेर के आरोपों के बाद सीआईडी जांच का आदेश दिया। घोटाले के सिलसिले में कम से कम 110 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें परीक्षा देने वाले 52 उम्मीदवार भी शामिल हैं। इन 52 अभ्यर्थियों को किसी भी पुलिस भर्ती में भाग लेने से रोक दिया गया है।
भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के वरिष्ठ अधिकारी अमृत पॉल को परीक्षा में धांधली में उनकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया था। पिछली भाजपा सरकार ने पीएसआई भर्ती परीक्षा को पलट दिया और दोबारा परीक्षा आयोजित करने का फैसला किया, जो अभी तक नहीं हुई है।