सबगुरु न्यूज-आबूरोड। चुनावी साल में गहलोत सरकार अपनी छवि सुधारने में लगी है या कुछ और वजह। गत महीने मुख्यमंत्री के आबूरोड प्रवास के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं के द्वारा शिकायत के बाद भी आबूरोड के अधिशासी अधिकारी अनिल झिंगोनिया को फिर से एपीओ कर दिया गया है।
झिंगोनिया की शिकायत के दौरान उनकी पैरवी करने वाले नेताओं की भी कमी नहीं थी। अब झिंगोनिया को एपीओ करने की कार्रवाई चुनाव से पहले अपनी छवि सुधारने की कवायद है या कुछ और ये सवाल अभी निरुत्तर है। नगर पालिका अध्यक्ष मगन दान चारण ने बताया है कि एपीओ आर्डर आ गया है।
– ये कहा था मुख्यमंत्री से
स्थानीय कांग्रेस पार्षद भवनिष बारोट आदि ने मुख्यमंत्री से शिकायत की थी कि नगर पालिका आबूरोड के आयुक्त अनिल झिंगोनिया लोगों से सही व्यवहार नहीं करते। उनका आरोप था कि झिंगोनिया जनता को अपने कमरे में घुसने नहीं देते। जनप्रतिनिधियों से भी उनका व्यवहार सही नहीं है। लोगों के काम अटकाने की परम्परा बना ली है। इसके बाद भी झिंगोनिया करीब एक महीने से भी ज्यादा समय तक यहां पर टिके हुए रहे। सोमवार शाम के अचानक सोशल मीडिया पर उनके एपीओ होने का ऑर्डर वायरल होने लगा।
-इसी जिले से चौथी बार एपीओ
अनिल झिंगोनिया की कार्य प्रणाली शुरू से ही विवादित रही है। एक ही तरह की शिकायतें आने के बाद भी गहलोत सरकार ने सिरोह में ही उन्हें 4 बार लगाया। उनके जनता के प्रति दुर्व्यवहार पूर्ण रवैये ने 3 नगर पालिका क्षेत्रों में कांग्रेस की फजीहत करवाई है।
सिरोही में वो संयम लोढ़ा के शहरी वोटों को नुकसान पहुंचाये तो आबूरोड में नीरज डांगी के। पिंडवाड़ा में भी उन्होंने जनता और जनप्रतिनिधियों के प्रति अपनी दुर्व्यवहार पूर्ण कार्यप्रणाली से गहलोत सरकार के प्रति लोगों में आक्रोश बढ़ाया। वो सिरोही और पिंडवाड़ा से एक बार और आबूरोड से दूसरी बार एपीओ हुए हैं।