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CM's vision mission 2030, Mount SDM's vision to challenge the mission! - Sabguru News
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CM का विजन मिशन 2030, माउंट SDM का विजन मिशन को चुनौति!

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CM का विजन मिशन 2030, माउंट SDM का विजन मिशन को चुनौति!
माउंट आबू नगर कांग्रेस मंडल की बैठक में संघर्ष समिति में शामिल भाजपा नेताओं द्वारा माउंट आबू के आम लोगों के हितों पर कुठाराघात करने पर बरसती पार्षद तस्लीमा बानो।
माउंट आबू नगर कांग्रेस मंडल की बैठक में संघर्ष समिति में शामिल भाजपा नेताओं द्वारा माउंट आबू के आम लोगों के हितों पर कुठाराघात करने पर बरसती पार्षद तस्लीमा बानो।

सबगुरु न्यूज-माउंट आबू। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी टीम में शामिल वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के द्वारा तैयार  मिशन 2030 को लागू करने का विजन लेकर चल रहे हैं। वहीं माउंट आबू के उपखंड अधिकारी मिशन 2030 के अहम बिंदुओं को पूरा करने वाले माउंट आबू के जोनल मास्टर प्लान 2030 को लागू नहीं होने दे रहे हैं।
जेडएमपी 2030 के प्रावधानों के तहत मोनिटरिंग कमिटी और माउंट आबू के स्थानीय लोगों को दिए अधिकारों के कथित हनन करके उसको लागू नहीं होने देने में उपखंड अधिकारियो का सहयोग में उतरे कथित संघर्ष समिति के नेताओं पर भाजपाई होने का आरोप सोमवार को आयोजित माउंट आबू कांग्रेस नगर मंडल की बैठक में लगा दिया गया। इस बैठक में कांग्रेस पार्षद ने जो आरोप लगाए वो सबगुरु न्यूज को सूत्रों से मिली खबर की भी पुष्टि करता है कि भाजपा वालों ने संघर्ष समिति।की आड़ में अपने और बड़े होटल मालिकों के काम करवाये और माउंट आबू के आम लोगों के पक्ष में नहीं बोले।

-क्या बोली महिला पार्षद?
विधानसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस की माउंट आबू नगर मंडल की बैठक में महिला पार्षद तस्लीमा बानो ने कहा कि मोनिटरिंग कमिटी अच्छा काम कर रही थी। उसमें जो भी हुआ हमे अच्छा नहीं लगा।    आरोप लागया कि संघर्ष समिति में जितने भी लोग हैं वो सब बीजेपी वाले हैं। उन लोगों ने जब पट्टे ले लिए, अपने काम करवा लिए तो उसके बाद वो जाकर अब ज्ञापन दे रहे हैं तो वो ऐसा काम ना करें।  वो माउंट आबू की जनता को न्याय दिलाने का काम करें।

 

उन्होंने पूछा कि संघर्ष समिति वाले एक भी गरीब के लिए जाकर लड़े क्या? गरीबों के लिए अगर वो लड़े हों तो हम भी उनके साथ हैं चाहें वो बीजेपी हो या कांग्रेस। उन्होंने माउंट आबू के लोगों के लिए संघर्ष करने का भ्रम पालने वाली स्वयंभू संघर्ष समिति के लोगों पर आरोप लगाया कि उन्होंने खुदके होटलों के काम करवा लिए। खुदके रिनोवेशन करवा लिए और अब जाकर मोनिटरिंग कमिटी के खिलाफ़ ज्ञापन दे रहे हैं।

तस्लीमा बानों के ये आरोप भाजपा सांसद देवजी पटेल के उस वायरल वीडियो पर मोहर लगाते हैं जिसमें वो ये बोलते नजर आ रहे हैं हमारे कार्यकर्ता भी यहां काम करते हैं। इसलिए वो यहाँ पर बड़े होटल के खिलाफ शिकायत नहीं कर सकते। मिशन 2030 में नए उद्यमियों और उद्यमों को प्रोत्साहित करने, पारदर्शिता रखने का का भी उद्देश्य है जबकि माउंट आबू उपखण्ड अधिकारी संघर्ष समिति के भाजपा नेता के घोषित सहयोग के बल पर उन्हें दिए अधिकार की गलत व्याख्या करके नए लोगों की बजाय पुराने और रईस होटल उद्यमियों को ही पुरस्कृत करने में लगे हैं। कांग्रेस को तस्लीमा बानों के इन आरोपो की जांच के लिए मोनिटरिंग कमिटी के माध्यम से आम लोगों के हित मिलने में बाधा बनने वाले भाजपा नेताओं को पिछले आंदोलनों के दौरान मिली निर्माण सामग्री की अनुमति और साइट की जांच करने की मांग भी  मुख्य्मंत्री से करनी चाहिए जिससे वास्तविकता उजागर हो सके।

 

-एसडीएम के एडवाइजर्स की सीएम एडवाइजर को चुनौती!
मोनिटरिंग कमिटी के पत्र पर गौर करें तो स्पष्ट है कि
एसडीएम माउंट आबू ने अपने कथित आधा दर्जन सलाहकारों के कहने पर सीधे तौर पर अपनी कार्यप्रणाली से मुख्यमंत्री के सलाहकार संयम लोढ़ा को चुनौती देने की कोशिश की है। आबूरोड हवाई पट्टी पर जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आये थे तो सिरोही विधायक संयम लोढ़ा ने माउंट आबू उस समय नवागंतुक उपखंड अधिकारी के समक्ष ही ये कहा था कि माउंट आबू उपखंड अधिकारी अपना एकाधिकार छोड़ना नहीं चाहते।

ये वहां मोनिटरिंग कमिटी और जनप्रतिनिधियों को जनता के काम करने देना नहीं चाहते। माउंट आबू उपखंड अधिकारी पर मोनीटरिंग कमेटी ने जो आरोप लगाए हैं उससे तो ये स्पष्ट है कि माउंट आबू उपखंड अधिकारी लोढ़ा द्वारा की गई शिकायत के विपरीत काम करके संयम लोढ़ा को ही ललकारने की कोशिश में हैं।
-आखिर कितना आधिकार एसडीएम को
माउंट आबू में मोनिटरिंग कमिटी पर उपखंड अधिकारी के हावी होने के समाचार पढ़ने के बाद सबगुरु न्यूज को कई रिटायर्ड और वर्तमान वन अधिकारियो के फोन आये। उन्होंने बताया कि दरअसल मोनिटरिंग कमिटी पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1989 की धारा 3 के तहत बनाई जाती है। किसी भी सेंट्रल एक्ट पर राज्य का एक्ट ओवरकम नहीं करता। मोनिटरिंग कमिटी नोटिफाइड होकर बनी है ऐसे में ये कानून है। जबकि माउंट आबू के उपखंड अधिकारी को टोकन देने का अधिकार साधारण परिपत्र से दिया है न कि केंद्र सरकार द्वारा नोटिफिकेशन के द्वारा।

उनका कहना था कि उपखंड अधिकारी मूल कमेटी का हिस्सा ही नहीं है तो उसे सब कमिटी के पार्ट बनाकर एकाधिकार नहीं दिया जा सकता। मोनिटरिंग कमिटी को सब कमिटी बनानी भी है तो सब कमिटी के मेम्बर मोनिटरिंग कमिटी के ही होंगे। जैसे किसी भी सरकार में सांसद या विधायक बनने पर ही मंत्री बन सकते हैं, सन्सद और विधानसभा के गैर सदस्य को नहीं।  मूल मोनिटरिंग कमिटी में शामिल डीएफओ या अन्य दूसरे स्थानीय अधिकारी सब कमिटी के मेम्बर हो सकते हैं।

सूत्रों की मानें तो उपखंड अधिकारी को उन्हीं एडवाइजर्स ने गलतफहमी में डालकर ये सब करवाया है जिन्होंने आम जनता की बजाय अपने लिये आए बड़े होटलों के लिए निर्माण सामग्री निकलवाई है। उन्होने ये भ्रम उपखण्ड आधिकारी को दिया की माउंट आबू में वही सर्वे सर्वा हैं, मोनिटरिंग कमिटी की कोई जरूरत नहीं। उन्होने ये गलतफहमी उपखण्ड अधिकारियो में डाली कि निर्माण मरम्मत के लिए बिना मोनिटरिंग कमिटी के ही वो अपनी मर्जी से निर्माण सामग्रियां मंगवा सकते हैं। जबकि हकीकत में वो सिर्फ नोडल ऑफिसर हैं, मोनिटरिंग कमिटी के कोई अधिकृत सचिव नहीं। यहां पर्यावरण का संरक्षण और नुकसान देखने के लिए सारे अधिकार मोनिटरिंग कमिटी के सद्स्य डीएफओ के पास हैं।

अब तक मोनिटरिंग कमिटी बैक फुट पर थी जैसे ही भाजपाई नेताओं के अड़ंगे से वर्तमान कांग्रेस सरकार और माउंट आबू के आम लोगों के हितों पर कुठाराघात होते देखा वैसे ही  फ्रंट फुट पर आई और सारा रायता फैल गया। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि संयम लोढ़ा के विधानसभा में टोकन व्यवस्था में उपखंड अधिकारियो की मनमानी का मुद्दा उठाने पर शांति धारिवाल ने एक समिति बना दी थी। इसे लेकर माउंट आबू की महिला होटल व्यवसायी हाइकोर्ट से इसी दलील के आधार पर स्टे लाई थी कि मोनिटरिंग कमिटी है नहीं, तो फिर उपखंड अधिकारी के साथ समिति बनाने का अधिकार राज्य को है ही नहीं।

कथित रूप से इसमें ये दलील भी थी कि साधारण परिपत्र से केंद्रीय कानून को उल्लंघित नहीं कर सकते। ये सब स्वकथित रूप से आबू हित में बनी संघर्ष समिति में शामिल भाजपा नेताओं को पता था इसके बाद भी उपखंड अधिकारी को कथित रूप से भ्रमित करके  के आम लोगों के हित में काम करने के लिए संघर्ष करने की बजाय मोनिटरिंग कमिटी के द्वारा माउंट आबू के आम लोगों के लिए संघर्ष करने वाली मोनिटरिंग कमिटी के मुद्दे के खिलाफ एसडीएम के समर्थन में ज्ञापन देने का प्रस्ताव लिया।

माउंट आबू उपखंड अधिकारियो के लिये सीएम से सीएम सलाहकार ने ये कहा था….

 

कांग्रेस की जा रही है साख तो भाजपाई खड़े हुए माउंट एसडीएम के साथ!

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