इस्लामाबाद। पाकिस्तान में हाल की ईसाई विराेधी हिंसा के दौरान 20 से अधिक चर्चों और ईसाई समुदाय के सदस्यों के 200 से अधिक घरों में तोड़फोड़ की गई है।
पाकिस्तान में रूस के बाहरी रूसी ऑर्थोडॉक्स चर्च (आरओसीओआर) के एकमात्र पादरी जोसेफ फारूक ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 21 चर्चों और ईसाइयों के 200 घरों में तोड़फोड़ की गई। इसके अलावा पवित्र ग्रंथ बाइबिल की कई सौ प्रतियां भी नष्ट कर दी गईं।
जरनवाला शहर में अगस्त के मध्य में हिंसा भड़क उठी थी। पादरी ने बताया कि कुछ लोगों ने स्थानीय ईसाइयों पर कुरान के पन्ने फाड़ने और इस्लाम के पैगंबर मुहम्मद के बारे में अपमानजनक शब्द लिखने का झूठा आरोप लगाया। पादरी ने कहा कि उन्होंने मस्जिद में ऐसी घोषणाएं कीं और भीड़ ईसाइयों के खिलाफ इकट्ठा हो गई। उन्होंने उनके घरों, चर्चों और पवित्र बाइबिल की प्रतियों को नष्ट कर दिया।
पीड़ितों से मुलाकात करने वाले फादर जोसेफ ने कहा कि लोगों ने मुझे बताया कि भीड़ ने उनके घरों से कीमती चीज़ें चुरा लीं। उन्होंने संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया, सारी संपत्ति, सबकुछ क्षतिग्रस्त हो गया, सबकुछ। लोग असहाय महसूस कर रहे थे, लोग रो रहे थे।
फादर ने कहा कि यह ईसाई समुदाय के लिए एक बड़ा झटका है क्योंकि उनमें से ज्यादातर गरीब हैं और उन्हें अपने मुस्लिम जमींदारों के लिए काम करना पड़ता है। उन्होंने कहा,“वे अपनी रोजी रोटी के लिए बहुत मेहनत करते और पसीना बहाते हैं।
पादरी ने इस बात पर जोर दिया कि प्रारंभिक जांच से पता चला है कि हिंसा सुनियोजित तरीके से समन्वित की गई थी। उन्होंने बताया कि चरमपंथियों ने मस्जिदों में घोषणाएं करके, भीड़ इकट्ठा करके और भीड़ को ईसाइयों के खिलाफ हिंसा के लिए उकसाना शुरू कर दिया।
उन्होंने कहा कि हिंसा के दौरान कई मुस्लिम निर्दोष ईसाइयों की रक्षा करने और उन्हें आश्रय प्रदान करने के लिए आगे आए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में, अधिकांश मुसलमान अच्छे हैं और दयालु हैं और वे ईसाइयों के साथ मित्रवत हैं। केवल एक छोटा वर्ग अल्पसंख्यक कट्टरपंथी इस्लाम का पालन करता है।
ऐसी हिंसा के कारणों के बारे में पूछे जाने पर पादरी ने पाकिस्तान में चल रहे आर्थिक संकट के कारण शिक्षा की कमी और आक्रामकता का उल्लेख किया। फादर जोसेफ ने कहा कि पुलिस हिंसा के लिए जिम्मेदार करीब 100 लोगों को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है।
उन्होंने कहा कि ईसाई समुदाय ने अनुरोध किया है कि पाकिस्तानी अधिकारी धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। उन्होंने चेतावनी दी कि हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए और कानून के अनुसार दंडित किया जाना चाहिए। अन्यथा, ये घटनाएं दोबारा होंगी।