कोटा। राजस्थान के कोटा में मंगलवार को विश्व स्तरीय चंबल रिवर फ्रंट का प्रदेश के नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने लोकार्पण किया।
इस अवसर पर चंबल रिवर फ्रंट पर शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। चंबल रिवर फ्रंट के लोकार्पण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भाग लेना था लेकिन अपरिहार्य कारणों से वे इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। इस अवसर पर राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी सहित राज्य मंत्रिमंडल के सदस्यों सहित विभिन्न आयोगों के अध्यक्ष और जनप्रतिनिधि मौजूद थे। जिन्होंने बाद में पूरे रिवर फ्रंट क्षेत्र का अवलोकन भी किया।
चम्बल रिवर फ्रन्ट भारत में विकसित प्रथम हैरिटेज रिवर फ्रन्ट है, इससे कोटा में देशी-विदेशी पर्यटकों का आवागमन बढेगा। कोटा शहर में कोटा बैराज से नयापुरा पुलिया तक 2.75 किमी की लम्बाई में चम्बल नदी के दोनों तटों पर 1400 करोड़ की लागत से चम्बल रिवर फ्रन्ट विकसित किया गया है। इसके बनने से चम्बल नदी के किनारे बसी सभी बस्तियां बाढ़ से मुक्त हो चुकी है। रिवर फ्रन्ट के दोनों तटों पर 27 घाटों का निर्माण किया गया है।
चम्बल रिवर फ्रन्ट में चम्बल माता घाट, गणेश पोल, मरू घाट, जंतर-मंतर घाट, विश्व मैत्री घाट, हाड़ौती घाट, महात्मा गांधी सेतु, कनक महल, फव्वारा घाट, रंगमंच घाट, साहित्य घाट, उत्सव घाट का निर्माण किया गया हैं। साथ ही सिंह घाट, नयापुरा गार्डन, जवाहर घाट, गीता घाट, शान्ति घाट, नन्दी घाट, वेदिक घाट, रोशन घाट, घंटी घाट, तिरंगा घाट, शौर्य घाट, राजपूताना घाट, जुगनु घाट, हाथी घाट और बालाजी घाट का भी इस मौके पर लोकार्पण किया गया है।
कोटा में विकसित चम्बल रिवर फ्रंट आर्किटेक्ट का देशभर में अद्वितीय नमूना है। इस पर विकास के साथ पर्यटन, रोजगार, पर्यावरण संरक्षण के साथ नदी के सौंदर्यकरण जैसे कार्य किए गए हैं। यहां पर चम्बल माता की 225 फुट ऊंची संगमरमर की मूर्ति भी स्थापित की गई है। चम्बल रिवर फ्रंट के जवाहर घाट पर पं. जवाहर लाल नेहरू का विश्व का सबसे बड़ा गन मेटल का मुखौटा बनाया गया है। साथ ही, दुनिया का सबसे बड़ा नन्दी भी यहां बना है।
इसी प्रकार एक बगीचे में 10 अवतारों की मूर्ति लगाई गई है तथा बुलन्द दरवाजे से ऊंचा दरवाजा बनाया गया है। राजपूताना घाट पर राजस्थान के नौ क्षेत्रों की वास्तुकला एवं संस्कृति को दर्शाया गया है। मुकुट महल में 80 फ़ीट ऊँची छत है तथा यहां पर सिलिकॉन वैली भी है। ब्रह्मा घाट पर विश्व की सबसे बड़ी घण्टी बनाई गई है जिसकी आवाज आठ किमी दूर तक सुनी जा सकेगी। साहित्यिक घाट पर पुस्तक, प्रसिद्ध लेखकों की प्रतिमाएं भी स्थापित की गई है।