अजमेर। लोहागल, पुष्कर, नासूंन और पुष्कर रोड की श्री पुष्कर गौआदि पशुशाला के अध्यक्ष रंजीत मल लोढ़ा ने आज पशु-चिकित्सकों की मांग का समर्थन किया और सरकार से मांग की कि गौशालाओं को आर्थिक संकट से बचाने के लिए सरकार को पशु-चिकित्सकों की एनपीए की बहुप्रतीक्षित मांग पर विचार करते हुए तुरंत प्रभाव से घोषणा करनी चाहिए।
लोढ़ा ने कहा है कि गौशालाओं में अधिकतर लम्पी रोग से ग्रस्त गौवंश हैं और अगर अनुदान राशि नहीं मिलती है तो यह गौवंश सड़क पर आ जाएगा। इनके चारे पानी की व्यवस्था मुश्किल हो जाएगी। पशु चिकित्सकों द्वारा किए जा रहे कार्य बहिष्कार से गौशालाओं में किसी भी प्रकार के संक्रमण या रोग प्रकोप की आपातकालीन स्थिति में गौवंश को बचाना मुश्किल होगा।
उल्लेखनीय है कि राज्य के पशु चिकित्सकों ने सरकार द्वारा नान प्रैक्टिसिंग एलाउंस (एनपीए) स्वीकृत नहीं किए जाने तक, विरोध स्वरूप मुख्यमंत्री द्वारा 6 सितम्बर को शुरू की गई कामधेनु बीमा योजना के साथ साथ गोपालन विभाग की सभी योजनाओं का सम्पूर्ण बहिष्कार करने का निर्णय लिया है।
गौशाला संचालक मुख्यमंत्री एवं राज्य सरकार के गोपालन मंत्री से अपील कर रहे हैं कि पशु-चिकित्सकों की मांग पर सरकार को अविलंब संज्ञान लेना चाहिए। क्योंकि इसी माह गौशालाओं का भौतिक सत्यापन और अनुदान राशि स्वीकृत होने की प्रक्रिया में व्यवधान उत्पन्न हो जायेगा। गौशालाओं द्वारा अपने सभी पशुओं और डाक्यूमेंट का सत्यापन इसी माह 25 सितम्बर तक करवाया जाना है।
पशु चिकित्सकों का कहना है कि पशुपालन विभाग के अतिरिक्त अन्य गोपालन विभाग है जिसका निदेशालय एवं मंत्रालय तक अलग है। फिर भी पशुपालन विभाग के पशु चिकित्सकों द्वारा गौशालाओं का सत्यापन, निरीक्षण और गौशाला के पशुओं की चिकित्सा एवं टीकाकरण भी किया जाता है। सरकार को पशु चिकित्सकों की एक जायज मांग तो पूरी करनी चाहिए।
राज्य में कुल 3636 गौशालाओं के 11.75 लाख गौवंश हेतु वर्तमान वर्ष 2023 में जनवरी से अगस्त माह तक 2992.27 करोड़ का अनुदान सरकार द्वारा दिया गया है। लेकिन अब अगस्त से दिसंबर तक की अनुदान राशि लगभग 546 करोड़ रुपए अटकती दिखाई दे रही है। राज्य सरकार द्वारा निराश्रित पशुओं को चारा उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से राजस्थान गौ संरक्षण व संवर्धन अधिनियम 2016 के अंतर्गत चारा अनुदान राशि वितरित की जाती है।
राजस्थान पशु-चिकित्सक संघ अजमेर के महासचिव डॉ आलोक खरे ने अवगत कराया कि अजमेर जिले में 35 पंजीकृत गौशालाओं का भौतिक सत्यापन किया जाना है और प्रथम चरण में 4 महीने की लगभग 6 से 7 करोड़ रुपए की अनुदान राशि के अनुदान की नितांत आवश्यकता है। इसी प्रकार कामधेनु पशु बीमा रुकने से महंगाई राहत कैंप में दिए गए 1.10 करोड़ गारंटी कार्ड व्यर्थ हो रहे हैं और पशुपालक परेशान हो रहे हैं।