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फुटपाथ पर गुजर बसर करने वाले भी AC टॉयलेट में करेंगे फीलगुड
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फुटपाथ पर गुजर बसर करने वाले भी AC टॉयलेट में करेंगे फीलगुड

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फुटपाथ पर गुजर बसर करने वाले भी AC टॉयलेट में करेंगे फीलगुड

अजमेर। आपने चुनाव जीतने के लिए मतदाताओं को खाने-पीने की पार्टी देने की बात तो सुनी होगी। लेकिन राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने आम मतदाताओं को एयर कंडीशनर टॉयलेट का तोहफा देने की ठानी है। यानी अब झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले भी बड़े ठाठ से इन अत्याधुनिक सार्वजनिक शौचालयों का इस्तेमाल करेंगे।

दरअसल महारानी राजे ने राजस्थान सरकार के वर्ष 2018-19 केे बजट में राज्यभर के नगर परिषद क्षेत्रों में एसी टॉयलेट बनवाने की घोषणा की है। इस पर अमल शुरू हो चुका है। स्मार्ट सिटी अजमेर समेत कई जगह इनका निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। कई जगह जमीन चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

बंगले की कीमत में टॉयलेट

सरकार जनता का पैसा किस तरह बर्बाद करती है, इसकी एक और बानगी देखिए। 50 लाख रुपए में आप 200 गज जमीन पर आलीशान दो मंजिला मकान या बंगला बनवा सकते हैं। मगर सरकार 50 लाख से सिर्फ एसी टॉयलेट बनवा रही है। जाहिर है सरकारी काम कितना महंगा होता है। इसमें कमीशन की बंदरबांट तय होती है, ऐसे में लागत पहले ही बढ़ा-चढ़ाकर तय की जाती है।

हर परिषद 2.5 करोड़ खर्च करेगी

वसुंधरा राजे की इच्छा पूरी करने के लिए हर नगर परिषद को ढाई करोड़ रुपए इन अत्याधुनिक शौचालयों पर खर्च करने हैं। एक परिषद क्षेत्र में 5 शौचालय बनाने हैं और हर एक शौचालय पर 50 लाख रुपए खर्च करने हैं। अब सवाल यह है कि जब ज्यादातर नगर परिषदों की माली हालत खराब है, उनके पास अपने कर्मचारियों को वक्त पर तनख्वाह देने का बजट नहीं है, ऐसे में ढाई करोड़ रुपए खर्च करना कहां की समझदारी है।

मुफ्त मिलेगी सुविधा

इन अत्याधुनिक शौचालयों का हर कोई मुफ्त इस्तेमाल कर सकेगा। इनका रखरखाव, एसी का मेंटेनेंस, बिजली -पानी का बिल, सफाई, स्टाफ आदि पर नगर परिषदों को ही खर्चा करना पड़ेगा। दूसरी ओर जिनके घरों में बिजली, पंखा, कूलर आदि का अता-पता नहीं, वे एसी टॉयलेट में सरकार की वजह से फीलगुड करेंगे।

होना यह चाहिए

हालांकि सरकार हर परिवार को मकान बनाकर देने के लिए प्रयासरत होने का दावा करती है लेकिन सच्चाई यह है कि आबादी का एक बड़ा हिस्सा फुटपाथ पर खुले में बसर कर रहा है। स्वच्छ भारत अभियान को ठेंगा दिखाते हुए खुले में शौच कर रहा है। जरूरत है उनके लिए बड़ी संख्या में चल शौचालय बनाने की। 50 लाख में 50-60 रेडीमेड शौचालय स्थापित कराए जा सकते हैं और ढाई करोड़ में 300 जगह चल शौचालयों की व्यवस्था हो सकती है।

शौचालय कोई आरामगाह नहीं

बड़े रईसजादों की बात छोड़कर अगर सामान्य रईसों की बात करें तो लोग ज्यादा से ज्यादा अपने बेडरूम या ड्राईंग रूम में एसी लगवाते हैं। टॉयलेट में ऐसी लगवाना उनके भी बूते से बाहर होता है। मगर राजस्थान सरकार इसे आरामगाह बनाकर जनता जनार्दन को फीलगुड कराने की ठान चुकी है।

एसी टॉयलेट तो बना नहीं, सुलभ सुविधा भी बलि

अजमेर में गांधी भवन के समीप स्थित सुलभ शौचालय भविष्य के एसी टायलेट के नाम पर बलि चढ गया। सामान्य शौचालय को इसलिए तोड डाला गया क्योंकि इसी जगह पर वातानुकूलित टॉयलेट बनना है। अब आलम यह है कि पूर्व में बना हुआ शौचालय तोड दिए जाने के बाद जरूरतमंद परेशान हो रहे हैं और दो माह से मलबे का ढेर जस का तस पडा है।