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भारत में एक मंदिर ऐसा भी जिसकी मूर्तियां औषधियों से बनी हैं
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भारत में एक मंदिर ऐसा भी जिसकी मूर्तियां औषधियों से बनी हैं

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भारत में एक मंदिर ऐसा भी जिसकी मूर्तियां औषधियों से बनी हैं
A temple in India whose sculptures are made of Pharmaceutical drug
A temple in India whose sculptures are made of Pharmaceutical drug
A temple in India whose sculptures are made of Pharmaceutical drug

केरल। आज हम आपको बताने जा रहे है एक ऐसे मंदिर के बारे में जिसकी मुर्तिया जंगली औषधियों से बनी है। और इस मंदिर की एक ओर रहस्यमय बात है की इस मंदिर की रखवाली एक मगरमछ करता है। यह मंदिर विष्णु भगवान का है ओर यह मगरमछ पूरी तरह शाकाहारी है।

हमारे देश में अनगिनत मंदिर है, जिनकी महिमा अपरम्पार है। महिमा अपरम्पार होने के साथ मंदिरों से जुड़ी कहानियां और रहस्य भी दिलचस्प होते हैं। ऐसा ही एक मंदिर केरल में है, जिसके रहस्य बहुत ही हैरान करने वाले हैं। इस मंदिर में स्थापित मूर्तियां धातु या पत्थर की नहीं बल्कि औषधियों से बनी हुई हैं। यह मंदिर तिरुअनंतपुरम के अनंत-पद्मनाभस्वामी का मूल स्थान है।

स्थानीय लोगों का विश्वास है कि भगवान यहीं आकर स्थापित हुए थे। इस मंदिर की नाम अनंतपुर मंदिर है। यह केरल के कासरगोड में स्थित है। इस मंदिर में एक झील है और झील में एक मगरमच्छ है। दो एकड़ की झील के बीच में ये मंदिर बना है और ये भगवान विष्णु यानी भगवान अनंत-पद्मनाभस्वामी को समर्पित है।

मान्यता के अनुसार, ये मगरमच्छ बहुत ही रहस्यमयी होने के साथ शाकाहारी है। यह केरल का एकमात्र मंदिर है, जहां झील है। इस मंदिर की रखवाली एक मगरमच्छ करता है। अगर मंदिर के आसपास कुछ अशुभ होने की संभावनाएं होती हैं तो ये मगरमच्छ संकेत देता है। यह मगरमच्छ पूरी तरह शाकाहारी है और यहां के पुजारी इसे प्रसाद खिलाते हैं।

लोगों के मुताबिक, जब यहां झील में रह रहे एक मगरमच्छ की मृत्यु होती है तो रहस्यमयी ढंग से दूसरा मगरमच्छ आ जाता है। इस मगरमच्छ को बबिआ के नाम से जाना जाता है।

यहां स्थानीय लोगों का मानना है कि क्षेत्र में बारिश कम हो या ज्यादा झील में पानी का स्तर हमेशा एक जैसा ही रहता है। भगवान की पूजा के बाद भक्तों द्वारा चढ़ाया गया प्रसाद बबिआ को खिलाया जाता है। प्रसाद खिलाने की अनुमति आम लोगों को नहीं है, सिर्फ मंदिर प्रबंधन से जुड़े लोग ही मगरमच्छ को खाना खिलाते हैं। मगरमच्छ शाकाहारी है और वह झील के अन्य जीवों को नुकसान नहीं पहुंचाता।