नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उपस्थिति में मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ आम आदमी पार्टी विधायकों द्वारा कथित मारपीट के मामले ने तूल पकड़ लिया है। इसके विरोध में राजधानी में सरकारी कर्मियों ने कामकाज ठप करने की धमकी दी है। सत्तारूढ़ आप ने इन आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि मुख्य सचिव ने विधायकों के लिए बुरे शब्दों का इस्तेमाल किया।
आईएएस एसोसिएशन की सचिव मनीषा सक्सेना ने उप राज्यपाल अनिल बैजल से इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई और दावा किया कि मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ ‘मारपीट’ और ‘बदसलूकी’ की गई। उन्होंने इस घटना को ‘सुनियोजित आपराधिक साजिश’ करार दिया।
उप राज्यपाल अनिल बैजल से मुलाकात के बाद उन्होंने मीडिया से कहा कि हमने बैजल से इस संबंध में कड़ा निर्णय लेने को कहा है। इस संबंध में पुलिस शिकायत पहले ही दर्ज कराई जा चुकी है। सक्सेना ने कहा कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी इस घटना के विरोध में मंगलवार को काली पट्टी बांध कर काम करेंगे।
सक्सेना ने कहा कि इसमें संलिप्त सभी लोगों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज होने चाहिए।सक्सेना ने कहा कि प्रकाश को सोमवार आधीरात को बैठक के लिए बुलाया गया, जहां मुख्यमंत्री केजरीवाल के साथ उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया समेत 10-12 विधायक उपस्थित थे।
सक्सेना ने कहा कि बैठक में दिल्ली सरकार की ओर से कुछ विज्ञापनों पर चर्चा की गई जोकि शीर्ष अदालत के दिशा-निर्देशों के खिलाफ थे। उन्होंने कहा कि जब मुख्य सचिव बैठक में पहुंचे तो उनके साथ मारपीट और बदसलूकी की गई।
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में, अधिकारियों का सार्वजनिक जगहों में निरादर और अपमान किया गया है। मुख्य सचिव पर हमला नौकरशाही को सत्ता के आगे झुकाने के इरादे से किया गया प्रयास है। सक्सेना ने हालांकि उन लोगों का नाम बताने से इनकार कर दिया जिन्होंने यह हमला किया था।
इससे पहले दिन में दिल्ली सरकार कर्मचारी कल्याण संगठन (डीजीईडब्ल्यूए) अध्यक्ष डीएन सिंह ने पत्रकारों से कहा था कि केजरीवाल के आवास में मुख्य सचिव के साथ आप के विधायकों ने मारपीट की।
डीजीईडब्ल्यूए अध्यक्ष ने कहा कि एसोसिएशन ने इस मुद्दे पर उप राज्यपाल से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि इस समूह के सदस्य कार्यालय जाएंगे लेकिन मुख्य सचिव के साथ मारपीट की घटना करने वाले विधायकों पर कार्रवाई किए जाने तक काम नहीं करेंगे।
भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा ने इस विवाद पर कहा किे राष्ट्रीय राजधानी के घटनाक्रम से यहां संवैधानिक संकट पैदा हो गया है और इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए।
दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष व भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता ने आरोप लगाया कि केजरीवाल ने अपने तानाशाही रवैये के अनुरूप सोमवार आधी रात को मुख्य सचिव को बुलाया और अपने विधायकों के समक्ष उन्हें डपटा।
गुप्ता ने ट्वीट कर कहा कि सत्ता के नशे में चूर मुख्यमंत्री इस बात को लेकर परेशान थे कि विज्ञापन के लिए क्यों अधिक फंड नहीं दिए जा रहे हैं। आप के तहत यह हालात हैं।
उन्होंने कहा कि जब मुख्य सचिव पर हमला किया गया, उस वक्त वहां कुल 9 विधायक उपस्थित थे। वे लोग दिल्ली के लोगों को प्रतिनिधित्व करते हैं लेकिन उनका व्यवहार शहरी नक्सलियों से कम नहीं है। कितना घृणास्पद व्यवहार है।
लेकिन, दिल्ली सरकार के प्रवक्ता नागेंद्र शर्मा ने हालांकि इन आरोपों को खारिज किया और कहा कि मुख्य सचिव भाजपा के इशारे पर गलत आरोप लगा रहे हैं।
शर्मा ने बयान जारी कर कहा कि केजरीवाल के आवास पर मुख्य सचिव से आधार को गलत तरीके से लागू किए जाने को लेकर सवाल किए गए, जिससे 2.5 लाख परिवारों को राशन से वंचित होना पड़ रहा है। इस पर मुख्य सचिव ने जवाब देने से मना कर दिया और कहा कि वह विधायकों या मुख्यमंत्री के प्रति जवाबदेह नहीं हैं बल्कि वह उप राज्यपाल अनिल बैजल को जवाब देंगे।
उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव ने कुछ विधायकों के खिलाफ खराब शब्दों का भी इस्तेमाल किया और बिना कोई जवाब दिए वापस चले गए। शर्मा ने कहा कि यह पूरी तरह से गलत है कि यह बैठक और इसमें विवाद टीवी विज्ञापन के लिए हुआ। पूरी चर्चा बड़ी संख्या में राशन से वंचित परिवारों पर केंद्रित थी।
उन्होंने कहा कि निश्चय ही, वह (मुख्य सचिव) यह भाजपा के इशारे पर कर रहे हैं। भाजपा उप राज्यपाल और अधिकारियों के जरिए दिल्ली सरकार के संचालन में बाधा उत्पन्न करने के लिए बहुत ही नीचे गिर गई है।