प्रयागराज। साधु-संतों की जानीमानी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी अपने पूर्व बयान पर यू टर्न लेते हुए यौन शेषण के आरोप में जेल भेजे गए पूर्व केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री चिन्मयानंद का बचाव करते हुए कहा कि साजिश के तहत उन्हें फंसाया गया है, पीड़ित लड़की की भूमिका संदिग्ध है एवं इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
महंत गिरी ने स्वामी चिन्मयानंद का पक्ष लेते हुए मंगलवार को यहां कहा कि साधु-संतों पर आरोप लगाना एक फैशन बन गया है। लड़की की भूमिका संदिग्ध है। उन्होंने कहा कि अखाड़ा परिषद उनके साथ खड़ा है। एक संत के साथ अन्याय हो रहा है। स्वामी जी की आड़ में साधु संतों को बदनाम करने और उनकी छवि को बिगाड़ने की कुत्सित साजिश रची जा रही है।
उन्होंने कहा कि उनपर अपने बयान बदलने का किसी प्रकार कोई दबाव नहीं है। वायरल हुए वीडियो देखने के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि यह योजनाबद्ध ढंग से उन्हें कोई नशीला प्रदार्थ खिलाकर अश्लील फोटो ली गई है और उन्हें ब्लैकमेल करने की एक बडी साजिश है। वीडियों में दो लडकियां और तीन लड़के हैं जो पैसों को लेकर योजना बना रहे हैं। हो सकता है उनमें से किसी ने यह वीडियो वायरल किया है।
महंत ने कहा कि लड़की को जेल में डालना उचित था क्योंकि उसने महराज को विश्वास में लेकर जो रंगदारी मांगी है उससे शंका प्रकट होती है। महंत नरेंद्र गिरि ने कहा है कि पीड़िता और उसके साथियों का वीडियो सामने आने के बाद ये पूरी तरह से साफ हो गया है कि स्वामी चिन्मयानंद से योजना के तहत रंगदारी मांगी गई है।
महंत नरेंद्र गिरि ने ऐलान किया है कि अब अखाड़ा परिषद की दस अक्टूबर को हरिद्वार में होने वाली बैठक में स्वामी चिन्मयानंद के निष्कासन की कार्रवाई को लेकर कोई चर्चा नहीं होगी। उनके साथ अन्याय हो रहा है इसलिए साधु संत इस लड़ाई में उनका पूरा साथ देंगे।
इससे पहले महंत ने कहा था कि चिन्मयानंद द्वारा किया गया कृत्य निंदनीय है और अखाड़ा परिषद इनका बहिष्कार करता है। यह महानिर्वाणी अखाड़ा के महामण्डलेश्वर है और उनके द्वारा किया गया यह कृत्य निंदनीय है। उन्होंने कहा कि चिन्मयानंद द्वारा शर्मिंदा हूं स्वीकार कर लेना ही बहुत बड़ी बात है। साधु-संत और योगी को इस प्रकार के आचरण नहीं करने चाहिए।
अध्यक्ष ने कहा कि सच्चा संत एवं योगी इस प्रकार के विचार से भी दूर रहते हैं। एक योगी सरकार चला रहे हैं और उनको देखकर सीना गर्व से चौड़ा होता है और इन्हें देखकर शर्म से सिर झुक जाता है। उन्होंने पहले कहा था कि जैसी करनी वैसी भरनी उन्हें इस घृणित कर्म के लिए जेल जाना था, और जेल गए। जब तक न्यायालय का निर्णय उनके पक्ष में नहीं आता या उन्हें बेकसूर नहीं साबित किया जाता अखाड़ा तब तक उन्हें बहिष्कृत करती है।
गिरी ने कहा कि साधु-संतों को किसी महिला से अकेले में बातचीत करने से गुरेज करना चाहिए और परिजनों और युवतियों को भी इनसे अकेले में नहीं मिलने की सलाह दी। यह दोनों के हित की बात है। आजकल साधु संतों को बदनाम करने के लिए अनेक प्रकार के कृत्य किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ यह साजिश है और इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। वे वीडियो के आधार पर बेकसूर लगते है इसलिए अखाड़ा परिषद उनके साथ खड़ा है।