नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से संबंधित अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं को वृहद पीठ के सुपुर्द करने या ना करने के मामले में गुरुवार को फैसला सुरक्षित रख लिया।
न्यायमूर्ति एन वी रमन की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने याचिकाकर्ताओं और केंद्र सरकार की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।
याचिकाकर्ताओं की ओर से दिनेश द्विवेदी, राजीव धवन एवम् संजय पारिख ने दलीलें दी, जबकि एटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने केंद्र सरकार का पक्ष रखा।
इससे पहले सुनवाई की शुरुआत करते हुए वेणुगोपाल ने दलील दी कि अलगाववादी वहां जनमत संग्रह का मुद्दा उठाते आए हैं क्योंकि वह जम्मू कश्मीर को अलग संप्रभु राज्य बनाना चाहते थे। उन्होंने कहा कि महाराजा हरि सिंह ने भारत की मदद इसलिए मांगी थी क्योंकि वहां विद्रोही घुस चुके थे। वहां पर आपराधिक घटनाएं हुईं और आंकड़े बताते हैं कि अलगाववादियों को पाकिस्तान से ट्रेनिंग दी गई ताकि यहां बर्बादी की जा सके। एटॉर्नी जनरल ने कहा कि जनमत संग्रह कोई स्थायी समाधान नहीं था।
उन्होंने संविधान पीठ के समक्ष एक-एक कर ऐतिहासिक घटनाक्रम का ब्योरा दिया। साथ ही कश्मीर का भारत में विलय और जम्मू कश्मीर संविधान सभा के गठन के बारे में विस्तार से बताया।