जयपुर। राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले आचार्य स्वामी धर्मेंद्र का आज सुबह जयपुर में निधन हो गया। वे लगभग 80 वर्ष के थे। आचार्य धमेन्द्र पिछले एक महीने से यहां सवाई मान सिंह अस्पताल में भर्ती थे।
आचार्य का जन्म नौ जनवरी 1942 को गुजरात के मालवाड़ा में हुआ था। पिता महात्मा रामचंद्र वीर महाराज के आदर्शों और व्यक्तित्व का इन पर ऐसा प्रभाव पड़ा कि इन्होंने बहुत कम उम्र में वज्रांग नाम से एक समाचार-पत्र निकाला।
आचार्य धर्मेन्द्र के निधन पर देशभर में हिंदू संगठन से जुड़े लोगों ने दुख जताया है। आचार्य ने श्रीराम मंदिर आंदोलन में भी सक्रिय रहकर इस आंदोलन में अपना अहम योगदान दिया था। विश्व हिंदू परिषद से लम्बे समय तक जुड़े रहने के दौरान ये काफी चर्चा में रहे थे। वे राममंदिर मुद्दे पर बड़ी ही बेबाकी से बोलते थे। बाबरी विध्वंस मामले में जब फैसला आने वाला था तब उन्होंने फैसला आने से पहले कहा था कि मैं आरोपी नंबर वन हूं। सजा से डरना क्या ? जो किया सबके सामने चौड़े में किया।
उनके निधन पर राज्यपाल कलराज मिश्र ने शोक संवेदना व्यक्त की और ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की है। राज्यपाल ने शोक संतप्त परिजनों को दुख की इस घड़ी में संबल प्रदान करने की कामना भी की।
आचार्य धमेन्द्र के निधन पर भाजपा विधायकों ने विधायक दल की बैठक से पहले दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धाजंलि अर्पित की। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां ने आचार्य धमेन्द्र की पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।