
नई दिल्ली। प्रसिद्ध धारावाहिक महाभारत के भीम और एशियाई खेलों के डिस्कस थ्रो के स्वर्ण विजेता प्रवीण कुमार का सोमवार शाम को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 74 वर्ष के थे।
भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) ने प्रवीण के निधन पर शोक जताया है। एएफआई के अध्यक्ष आदिल जे सुमारिवाला ने कहा कि भारतीय एथलेटिक्स ने प्रवीण कुमार सोबती के निधन से एक शानदार दूत खो दिया है। वह भविष्य में प्रेरणा बने रहेंगे, क्योंकि वह एक एथलीट का महान उदाहरण हैं, जिन्होंने 11 वर्षों में अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।
अमृतसर से 50 किलोमीटर की दूरी पर सरहली कलां गांव के एक साधारण परिवार से संबंध रखने वाले प्रवीण ने किंग्सटन में 1966 के राष्ट्रमंडल खेलों में हैमर थ्रो में रजत पदक जीता था। यह राष्ट्रमंडल खेलों में फील्ड स्पर्धा में भारत का पहला पदक था और 1958 में मिल्खा सिंह के 400 मीटर (उस वक्त 440 गज) दौड़ स्पर्धा में स्वर्ण के बाद एथलेटिक्स में दूसरा पदक था।
वहीं उन्होंने 1966 और 1970 में बैंकॉक में एशियाई खेलों में डिस्कस थ्रो में स्वर्ण जीता, जबकि 1966 में हैमर थ्रो में कांस्य और 1974 में तेहरान में डिस्कस थ्रो में रजत जीता। इसके अलावा उन्होंने 1968 में मैक्सिको सिटी और 1972 में म्यूनिख में ओलंपिक खेलों में क्रमशः हैमर थ्रो (60.84 मीटर) और डिस्कस थ्रो (53.12 मीटर) में अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।
सुमारिवाला ने दिवंगत प्रवीण की उपलब्धियों पर कहा कि यह अपने खेल को सबसे बड़े मंचो में बढ़ाने का गुण है, जिसने प्रवीण कुमार को शीर्ष प्रदर्शन करने वाला एथलीट बनाया है। यह उपलब्धियां ऐसे समय में हासिल करना जब एक राष्ट्रीय शिविर में बड़ी प्रतियोगिता के लिए प्रशिक्षण के लिए केवल कुछ ही समय मिलता था, उनकी स्वाभाविक प्रतिभा और जुनून की आग के बारे में बहुत कुछ बताता है जिसने उन्हें उत्कृष्टता हासिल करने के लिए प्रेरित किया।