सबगुरु न्यूज-सिरोही। कारोना के संभावित खतरे को देखते हुए देश में एपीडेमिक एक्ट लागू है। वहीं सीआरपीसी 144 भी लागू है। लेकिन, नेता इनकी गंभीरता को नहीं समझ रहे। चुनावी फायदे या सस्ती लोकप्रियता के लिए कोरोना प्रोटोकॉल को तोड़ रहे हैं।
इस तरह से ये लोग सोशल डिस्टेंसिंग को तोडक़र कोरोना फैलाने का माध्यम बन रहे हैं। इसमें भाजपा और कांग्रेस दोनों के नेता शामिल है। लगता है प्रशासन ने अब इनके खिलाफ भी कार्रवाई का मानस बना लिया है।
दिया नोटिस
जिले में अपने मोहल्ले में लोगों की भीड़ एकत्रित करके कोरोना प्रोटोकॉल तोडऩे के कारण एक जनप्रतिनिधि को नोटिस दिया गया है। उनसे पूछा गया है कि जिले में कोरोना प्रोटोकॉल लागू होने के बाद भी लोगो को एकत्रित करके खाद्य सामग्री वितरीत क्यों की। इस नोटिस का जवाब देने के लिए तीन दिन का समय दिया गया है।
नोटिस जारी कर्ता अधिकारी ने बताया कि लोगों की भीड़ लगाकर खाद्य सामग्री वितरीत करना कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लंघन है, इससे सोशल डिस्टेंसिंग की पालना नहीं होती है।
ये व्यवस्था की हुई है
सोशल डिस्टेंसिंग को लागू करने और कोरोना फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन लागू होते ही जिला कलक्टर ने सभी दानदाताओं, जनप्रतिनिधियों आदि से अनुरोध कर दिया था कि वह कोई भी लोगों के बीच में खाना या अनाज किट बांटने ना जाएं।
ऐसा करने से वे भी संभावित संक्रमण का शिकार हो सकते हैं। उन्होंने अपील की थी कि वह अपने किट और भोजन पैकेट प्रशासन को दे दे, वह कोरोना प्रोटोकॉल के तहत दिए गए निर्देशों के तहत प्रशासनिक देखरेख में यह सब बंटवाएगी। लेकिन, अपनी फोटो खिंचवाने और हातिमताई बनने के चक्कर में नेताओं ने इसकी जमकर अवहेलना की।
अब प्रशासन इनके लिए भी सख्त हो गया लगता है। ये नोटिस सिर्फ एक चेतावनी मात्र है, लेकिन इसके बाद भी नेता मानते नहीं हैं तो प्रशासन के पास आईपीसी की धारा 188 के तहत कार्रवाई करने का अधिकार सुरक्षित है।