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इंडैक्स मेडिकल कॉलेज की जांच करेंगा अधिवक्ता दल-हाईकोर्ट-हिंदी समाचार
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इंडैक्स मेडिकल कॉलेज की जांच करेंगा अधिवक्ता दल-हाईकोर्ट

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जबलपुर । मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश आर एस झा व न्यायाधीश एम एफ अनवर की युगलपीठ ने इंदौर स्थित इंडैक्स मेडिकल कॉलेज की जांच के लिए तीन सदस्यीय अधिवक्ता कमेटी का गठन किया है।

युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि कॉलेज प्रबंधन के भय से पढ़ने वाले छात्रों को मुक्त करवाकर उनमें आत्मविश्वास जागृत करने का कार्य करें। याचिका की सुनवाई के दौरान डॉ स्मृति लाहरपुरे आत्महत्या मामलें की केस डायरी भी विवेचना अधिकारी द्वारा युगलपीठ के समक्ष पेश की गयी। गौरतलब है कि वर्ष 2016-17 में नीट परीक्षा के माध्यम से इंडैक्स मेडिकल कॉलेज में पीजी कोर्स में प्रवेश लेने वाले डॉ कृष्ण प्रताप सिंह 30 छात्रों की तरफ से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी।

दायर याचिका में कहा गया था कि दाखिले के समय कॉलेज प्रबंधन ने बताया था कि मप्र मेडिकल सांइस विश्वविद्यालय जबलपुर से सम्बद्धता प्राप्त है। कॉलेज व सरकार के बेवसाइड में भी इस संबंध में जानकारी उपलब्ध थी। प्रवेश लेने के बाद कॉलेज प्रबंधन छात्रों पर मालवांचल विश्व विद्यालय में नामांकन दर्ज करवाने दवाब बनाने लगा।

याचिका में मांग की गयी थी कि उनका नामांकन मप्र मेडिकल सांइस विश्वविद्यालय में किया जाये। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की तरफ से याचिका वापस लेने का आग्रह किया गया था। जिसे गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने प्रकरण में अधिवक्ता अर्पण जे पवॉर को कोर्ट मित्र के रूप में नियुक्त किया था।

याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने आदेश जारी किये थे कि पीजी कोर्स वर्ष 2016-17 में दाखिला देने वाले छात्रों का नामांकन मप्र मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी में किया जाये। यूनिवर्सिटी ने नीट परीक्षा उत्तीर्ण कर प्रवेश लेने वाले छात्रों को नामांकन क्रमांक जारी कर दिया था। नीट परीक्षा में शामिल हुए बिना कॉलेज में प्रवेश लेने वाले लगभग 14 छात्रों का नामांकन विश्व विद्यालय ने नहीं किया था।

याचिका की सुनवाई के दौरान पीजी कोर्स कर रही डॉ स्मृति लाहरपुरे ने 11 जून 2018 को आत्महत्या कर ली थी। डॉ स्मृति ने अपने सुसाइड नोट में लिखा था कि कॉलेज संचालक सुरेश भदौरिया व एसओडी श्रीमति खान द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर करने के कारण सभी छात्रों को प्रताड़ित किया जाता है। इसके अलावा अतिरिक्त फीस जमा करने तथा तीन वर्ष का एरियर्स जमा करने के लिए भी दबाव बनाया जाता था। इसके अलावा डिग्री पूरी नहीं होने की धमकी दी जा रही थी।

पुलिस द्वारा प्रकरण दर्ज नहीं किये जाने के खिलाफ मृतिका के पिता के के लाहरपुरे ने 3 जुलाई 2018 को कोर्ट में इंटरविनर बनने का आवेदन पेश किया था। जिसके दो दिन बाद पुलिस ने सुरेश भदौरिया के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया था। याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान डॉ स्मृति आत्महत्या मामले के विवेचक तथा थाना प्रभारी अनिल यादव केस डायरी के साथ हाईकोर्ट में उपस्थित हुए। युगलपीठ ने केस डायरी का अवलोकन करने पर पाया कि प्रकरण दर्ज होने के एक सप्ताह बाद ही आत्महत्या मामलें में सुरेश भदौरिया को अग्रिम जमानत का लाभ मिल गया है।

युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि अधिवक्ता आदित्य अधिकारी, अधिवक्ता अर्पण जे पवॉर तथा अधिवक्ता व्ही मिश्रा की तीन सदस्यीय कमेटी अपने व्यस्थ कार्यक्रम से समय निकालते हुए कॉलेज का निरिक्षण करे। कॉलेज निरीक्षण के लिए प्रति सदस्य को दस हजार रूपये का भुगतान करेंगा। कमेटी के रहने व टॉसपोर्ट की व्यवस्था जिला कलेक्टर द्वारा की जायेगी। युगलपीठ ने कमेटी को निर्देशित किया है कि वह आपनी रिपोर्ट अगली सुनवाई के दौरान न्यायालय में पेश करें।