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285 साल बाद भगवान जगन्नाथपुरी रथयात्रा से लाखों श्रद्धालुओं का छूटा 'आस्था का साथ' - Sabguru News
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285 साल बाद भगवान जगन्नाथपुरी रथयात्रा से लाखों श्रद्धालुओं का छूटा ‘आस्था का साथ’

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285 साल बाद भगवान जगन्नाथपुरी रथयात्रा से लाखों श्रद्धालुओं का छूटा ‘आस्था का साथ’
After 285 years millions of devotees lost faith in Lord Jagannath Puri Rath Yatra
After 285 years millions of devotees lost faith in Lord Jagannath Puri Rath Yatra
After 285 years millions of devotees lost faith in Lord Jagannath Puri Rath Yatra

सबगुरु न्यूज। कोरोना महामारी ने अभी तक देश और दुनिया भर में कई इतिहास बदल कर रख दिए हैं, जिसकी मनुष्य कल्पना भी नहीं कर रहा था। यह महामारी मानव समाज के लिए जितनी घातक बनी हुई है उतना ही आस्था पर भी चोट पहुंचा रही है। कोरोना की दहशत के मारे अभी भी देशभर के कई प्रसिद्ध तीर्थस्थल और मंदिर, चारधाम यात्रा बंद है। लेकिन आज हम आपसे बात करेंगे ओडिशा की। जब-जब ओडिशा राज्य की बातें होती है तब भगवान जगन्नाथ पुरी की रथयात्रा स्वयं जुबान पर आ जाती है। हर साल 23 जून को निकलने वाली भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा सेेे देश और दुनियाभर के लाखों-करोड़ों श्रद्धालुओंं की सीधे तौर पर गहरी आस्था जुड़ी हुईं हैं।

लेकिन इस बार यह ऐतिहासिक जगन्नाथ यात्रा नहीं निकाली जाएगी। यहां हम आपको बता दें 285 साल बाद यह पहला मौका है, जब इस रथयात्रा को रोका गया है। कोरोना महामारी को लेकर पिछले कई दिनों से भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा निकालने को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। आखिरकार आस्था से जुड़ा मामला देश की सर्वोच्च अदालत के हवालेेेे कर दिया गया। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जगन्नाथ की रथयात्रा पर रोक लगा दी। सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा, अगर कोरोना के बीच हमने इस साल रथयात्रा की इजाजत दी तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब महामारी फैली हो, तो ऐसी यात्रा की इजाजत नहीं दी जा सकती, जिसमें बड़ी तादाद में भीड़ आती हो। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लाखों भक्तों में मायूसी छा गई है।

जगन्नाथ रथ यात्रा को खींचने के लिए हर साल देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु ओडिशा पहुंचते हैं

हर साल 23 जून के दिन ही ओडिशा में जगन्नाथपुरी की ऐतिहासिक रथयात्रा निकाली जाती है, इस दिन पूरा ओडिशा बंद रहता है। देश विदेश से लाखों श्रद्धालु इस रथयात्रा में शामिल होने और रथ को खींचने के लिए आते हैं। हर साल लाखों लोग इसमें हिस्सा लेने के लिए पहुंचते हैं। वैसे इस जगन्नाथ रथ यात्रा के कोई अधिकारिक प्रमाण नहीं है यह पहली बार कब से शुरू की गई थी लेकिन इतिहासकारों का मानना है कि यह लगभग 800 वर्ष पहले यह रथ यात्रा निकाली गई थी। उसके बाद से कुल 32 बार इसे तमाम कारणों से स्थगित किया गया है मगर साल 1737 के बाद अब 2020 में पहली बार इसे स्थगित किया गया है। इस तरह से 285 साल के बाद पहली बार इस यात्रा को स्थगित किया है।

सबसे अधिक इस जगन्नाथ रथ यात्रा को मुगलों के शासन में रोका गया था। हम आपको बता दें कि पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर भारत के चार पवित्र धामों में से एक है। वर्तमान मंदिर 800 वर्ष से अधिक प्राचीन है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण, जगन्नाथ रूप में विराजित हैं। साथ ही यहां उनके बड़े भाई बलराम और उनकी बहन देवी सुभद्रा की पूजा की जाती है।

ओडिशा राज्य का यह सबसे बड़ा धार्मिक महोत्सव कहलाता है

भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा उड़ीसा राज्य का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है। इस धार्मिक आयोजन में पूरा ओडिशा भक्ति में डूबा रहता है। आपको बता दें कि ओडिशा राज्य के तटवर्ती शहर पुरी में भगवान जगन्नाथ का विशाल मंदिर है। जगन्नाथ मंदिर को हिन्दू धर्म में चार धाम से से एक माना गया हैं। जगन्नाथपुरी को पुरी के नाम भी से जाना जाता हैं। जगन्नाथ रथ उत्सव में देश-विदेश से 10 लाख से भी अधिक श्रद्धालु पहुंचते हैं। जगन्नाथ रथ यात्रा में हर साल दुनिया भर के लाखों श्रृद्धालु शामिल होते है।

यह रथ यात्रा महोत्सव 10 से 12 दिन चलता है जो 23 जून को शुरू होने वाला था और रथ यात्रा की वापसी ‘बहुदा जात्रा’ की तारीख एक जुलाई निर्धारित है। इस महोत्सव के लिए भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के लिए लकड़ी के तीन विशाल रथ बनाये जाते हैं और पुरी में नौ दिनों के दौरान श्रृद्धालु इसे दो बार तीन किलोमीटर से ज्यादा दूर तक खींचते हैं। यहां आपको जानकारी दे दें कि अभी कुछ दिनों पहले तक मंदिर के पुजारी और पुरोहितों के साथ इस ऐतिहासिक भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा को बिना भक्तों के ही निकालने की बात चल रही थी। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के इस रथ यात्रा पर रोक लगाने से लाखों श्रद्धालुओं का भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा से आस्था का साथ छूट गया।

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार