नई दिल्ली। अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण का रास्ता प्रशस्त किए जाने के सात माह बाद अब एक हिन्दू संगठन ने काशी-मथुरा मंदिर विवादों के निपटारे के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
हिंदू पुजारियों के संगठन विश्वभद्र पुजारी पुरोहित महासंघ ने पूजास्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 की संवैधानिक वैधता को उच्चतम न्यायालय में शुक्रवार को चुनौती दी। यह केंद्रीय कानून 18 सितंबर, 1991 को पारित किया गया था। यह कानून कहता है कि 15 अगस्त 1947 को देश की आजादी के समय धार्मिक स्थलों का जो स्वरूप था उसे बदला नहीं जा सकता। हालांकि, अयोध्या विवाद को इससे बाहर रखा गया था, क्योंकि उस पर कानूनी विवाद पहले से चल रहा था।
याचिकाकर्ता ने काशी विश्वनाथ एवं मथुरा मंदिर विवाद को लेकर कानूनी प्रक्रिया फिर से शुरू करने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि इस अधिनियम को कभी चुनौती नहीं दी गई और न ही किसी अदालत ने न्यायिक तरीके से इस पर विचार किया। अयोध्या विवाद पर फैसले में भी उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ ने इस पर सिर्फ टिप्पणी की थी।