जालोर। राजस्थान में जालोर जिले के जसवंतपुरा थाना क्षेत्र के राजपुरा गांव में सुंधा माता मंदिर की तलहटी के पास स्थित आश्रम के आत्महत्या करने वाले संत रविनाथ का शव प्रशासन एवं संतों के बीच सहमति बनने के बाद आज सुबह पेड़ से उतारा गया।
उल्लेखनीय है कि गुरुवार देर रात आश्रम के संत रविनाथ ने पेड़ पर फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी। मामला जमीन से जुड़ा एवं मौके से सुसाइड नोट भी मिला बताया जा रहा है। आश्रम के दूसरे साधुओं एवं ग्रामीणों ने सुसाइड नोट को सार्वजनिक करने की मांग करते हुए शव को नीचे नहीं उतारने दिया था।
पुलिस के अनुसार सुबह संतों के साथ सहमति बनने के बाद संत का शव उतारा गया। शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल ले जाया गया हैं। मौके पर लोगों की भीड़ जमा होने के कारण भारी पुलिस बल तैनात किया गया हैं।
संत के परिजनों ने विधायक पूराराम चौधरी, उनके चालक एवं एक अन्य के खिलाफ साधु को धमकाने, जातिसूचक शब्दों से प्रताड़ित करने आदि का मामला दर्ज कराया है। मामले में पुलिस जांच कर रही है।
कब तक सन्तों के प्राण लेते रहेंगे सरकार और प्रशासन
प्रदेश में एक और सन्त हुए संत की अकाल मृत्यु के लिए सरकार और प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हुए विश्व हिन्दू परिषद ने कहा कि सन्तों के जीते जी ये लोग उनकी सुनवाई नहीं करते। मजबूरन संतों को अपने प्राण त्यागने को विवश होना पड़ता है।
हालत यह है कि जन आन्दोलन होने व अन्तिम संस्कार नहीं करने पर अड़ने के बाद प्रशासनिक अमले की नींद खुलती है। एसडीएम, कलेक्टर, पुलिस सब मौके पर पहुंचकर कार्रवाई का भरोसा दिलाने में जुट जाते हैं। सवाल यह है कि समय रहते संतों की मांग पर कार्यवाही क्यों नहीं होती।
खनन माफिया से बृज चौरासी कोसी परिक्रमा क्षेत्र कनकाचल और आदी पर्वत को से बचाने के करीब 551 दिन आन्दोलन करने के बाद भी सुनवाई नहीं होने पर सन्त विज दास महाराज को प्राण त्याग देने पर मजबूर किया गया।
ठीेक इसी तरह खाई खोदकर हनुमान आश्रम के मार्ग को रोक दिया गया। लेकिन पुलिस प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। विवश होकर संत रवीनाथ महाराज ने जालोर के राजपुरा गांव में स्थित आश्रम में पेड पर फंदा लगाकर प्राण त्याग दिए। आन्दोलन होने पर आश्रम का रास्ता प्रशासन द्वारा क़ायम किया गया।
विहिप के प्रांत सह मंत्री एडवोकेट शशि प्रकाश इन्दोरिया ने कहा कि राजस्थान में सन्तों और गौमाता के प्रति सरकार, पुलिस और प्रशासन घोर लापरवाह हो गया है। सन्तों की सुनवाई और सुरक्षा नहीं हो रही है। इस बाबत राज्यपाल को पत्र लिखकर विश्व हिन्दू परिषद् ने सन्तों व धर्माचार्यों को सुरक्षा प्रदान करने, उनकी सुनवाई कर तुरंत दोषियों पर कार्रवाई करने और सन्तों को मृत्यु का वरण करने को विवश करने वाले माफिया और प्रशासन पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की गई है।